एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) दुनिया के तमाम देशों पर अपना टैरिफ बम (Trump Tariff) फोड़ते जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर रूस-यूक्रेन में लंबे समय से जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) रोकने के लिए भी ट्रंप ने टैरिफ को ही हथियार बनाया है. सोमवार को उन्होंने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को 50 दिन में यूक्रेन से युद्ध रोकने या फिर तगड़ा टैरिफ झेलने की धमकी दे डाली, रूस की ओर से भी करारा पलटवार किया गया. वहीं अब नाटो की ओर से रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे उससे ट्रेड जारी रखते हैं, तो फिर 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में एक बार फिर ट्रेड वॉर (Trade War) की आशंका गहराने लगी है, क्योंकि इसका सीधा असर चीन, ब्राजील और भारत जैसे देशों पर पड़ सकता है. आइए समझते हैं कैसे?
'रूस से जारी रखा ट्रेड, तो 100% टैरिफ'
सबसे पहले बताते हैं कि नाटो की ताजा धमकी (NATO Warning) के बारे में, तो अमेरिकी सीनेटरों के साथ बैठक के दौरान नाटो महासचिव मार्क रूट ने जो देश रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच रूसी तेल और गैस का आयात जारी रखते हैं, तो उन्हें पर कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है और उनपर 100 फीसदी तक टैरिफ (100% Tariff) लगाया जा सकता है. रूट ने खासतौर पर भारत (India), चीन (China) और ब्राजील (Brazil) को रूस के साथ उनके मौजूदा व्यापार को लेकर कड़ी चेतावनी दी है.
मार्क रूट ने साफ शब्दों में कहा कि मास्को में बैठा व्यक्ति अगर यूक्रेन के साथ युद्ध रोकने की सलाह को गंभीरता से नहीं लेता है, तो फिर उसे आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं और या फिर चाहे ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा आप तीन इससे प्रभावित हो सकते हैं. इसके साथ ही नाटो महासचिव ने तीनों देशों से रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin को शांति वार्ता के लिए गंभीरता से राजी कराने के प्रयास करने की भी अपील की.
ट्रंप की दो टूक, तो नाटो की चेतावनी
इससे पहले बीते सोमवार को नाटो के साथ बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए दबाव बनाते हुए दो टूक (Trump Warns Russia) कह दिया था कि अगर 50 दिनों के बाद भी युद्ध को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाता है, तो यह बहुत बुरा होगा और कड़े टैरिफ समेत अन्य प्रतिबंध लगाए जाएंगे. उन्होंने ये संकेत भी दिए थे कि बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन रूसी तेल खरीदार देशों पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है, जो 100% तक हो सकता है.
रूस का पलटवार- 'हम सामना करेंगे...'
Trump की धमकी के बाद अगले ही दिन रूस की ओर से भी प्रतिक्रिया देते हुए पलटवार किया गया और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) ने मंगलवार को डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी पर कहा, 'हम ये समझना चाहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति किस वजह से धमकी दे रहे हैं और मुझे इसे लेकर कोई संदेह नहीं है कि हम नए प्रतिबंधों का सामना कर लेंगे.' अमेरिका और रूस के बीच इस तनातनी के चलते एक बार फिर Trade War की आशंका गहराने लगी है और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति (Global Energy Supply) पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ गई है.
भारत के लिए कैसे परेशानी का सबब?
बता दें कि मिडिल ईस्ट के अलावा रूस से कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों की लिस्ट में जो देश सबसे आगे हैं, उनमें चीन, तुर्की, ब्राजील के अलावा भारत भी शामिल है और अगर Trump-NATO की धमकी के मुताबिक, 50 दिन की मोहलत के बीच रूस अपना रुख नहीं बदलता है और टैरिफ लागू होते हैं, तो ये रूसी तेल के खरीदार तमाम देशों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाएगा.
भारत के लिए ये एक बड़ा जोखिम इसलिए भी है, क्योंकि Middle East Tension के बीच सरकार ने रूस से कच्चे तेल के आयात में तगड़ा इजाफा किया है और मिडिल ईस्ट देशों की तुलना में अब रूस से ज्यादा Crude Oil भारत आ रहा है. अगर किसी भी तरह के कड़े प्रतिबंध लागू किए जाते हैं, तो तेल की आपूर्ति बाधित होने के साथ ही लागत में भी तगड़ी बढ़ोतरी हो सकती है.
11 महीने के हाई पर भारत का रूसी तेल आयात
हाल ही में एक रिपोर्ट में आंकड़े जारी करते हुए बताया गया था कि भारत का रूसी आयात (Crude Import From Russia) जून महीने में 11 महीने का हाई पर पहुंच गया. मिडिल ईस्ट में तनाव के दौरान दुनिया के सबसे अहम तेल मार्ग स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज (Strait Of Hormuz) को बंद करने की ईरानी धमकियों के बाद से भारत का रूसी तेल आयात लगातार बढ़ रहा है. केप्लर के तेल जहाज की निगरानी पर आधारित ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने जून में 20.8 लाख बैरल प्रति दिन (BPD) रूसी कच्चे तेल का आयात किया, जो जुलाई 2024 के बाद से सर्वाधिक है.
रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात अब इराक, UAE और कुवैत जैसे मिडिल ईस्ट सप्लायर्स से आयातित तेल से भी अधिक है. रिपोर्ट्स की मानें, तो जून में इन तमाम देशों से आयात करीब 2 मिलियन बीपीडी (Barrels Per Day) रहा. भारत का रूस से तेल आयात लगातार बढ़ रहा है और ये मई में 19.6 बीपीडी था, जो अब प्रति दिन 20.8 लाख बैरल तक पहुंच गया.
रूस पर US प्रतिबंध, भारत के लिए कैसे परेशानी?
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और इसके लिए मोटी रकम खर्च करता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते साल 2024 में भारत ने तमाम देशों से 232.5 मिलियन मिट्रिक टन क्रूड का आयात किया था और इस पर 132 अरब डॉलर (करीब 11 लाख करोड़ रुपये) की रकम खर्च की गई थी. एक और खास बात ये कि इस खरीदारी में रूस से कच्चे तेल का आयात सबसे ज्यादा था. Russia से भारत ने 45.4 अरब डॉलर का तेल खरीदा था. वहीं इसके बाद इराक से 28.5 अरब डॉलर, सऊदी अरब से 23.5 अरब डॉलर, UAE से 8.6 अरब डॉलर, US से 6.9 अरब डॉलर और कुवैत से 5.2 अरब डॉलर की खरीदारी की थी.
इन आंकड़ों को देखें तो भारत सबसे ज्यादा Crude Oil Import फिलहाल रूस से ही कर रहा है और ये बड़ा कारण है कि ट्रंप और नाटो की हालिया चेतावनी भारत के लिए चिंता की वजह है.
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