दिल्ली से स्मार्टफोन की चोरी, बांग्लादेश में सप्लाई... इंटरनेशनल 'मोबाइल माफिया' का काला खेल बेनकाब

6 days ago 1

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चोरी के महंगे मोबाइल फोन सप्लाई करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है. ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके से तीन आरोपियों को पकड़ा गया, जो बसों और मेट्रो ट्रेनों में यात्रियों को निशाना बनाकर स्मार्टफोन चोरी करते थे. बरामद किए गए 26 मोबाइल कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश भेजे जाने वाले थे. इससे पहले भी इस नेटवर्क की एक बड़ी खेप पकड़ी जा चुकी है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान ताज मोहम्मद (54), परवेश उर्फ फिरोज खान (42) और करण उर्फ ओम प्रकाश (30) के रूप में हुई है. इन्हें 28 अगस्त को श्री निवास पुरी बस डिपो के पास से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में तीनों ने संगम विहार निवासी अजय नेगी और सनी कट्टा का नाम लिया था, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इस अवैध कारोबार के कथित मास्टरमाइंड हैं.

पुलिस जांच से पता चला है कि यह गिरोह दिल्ली-एनसीआर में जेबकतरों और झपटमारों से चोरी के फोन इकट्ठा करता था. इसके बाद इन्हें कोलकाता में मौजूद एजेंटों तक पहुंचाया जाता था, जो बांग्लादेश के खरीदारों के लिए पश्चिम बंगाल सीमा पार तस्करी कर फोन भेजते थे. बरामद मोबाइल अब तक 10 अलग-अलग चोरी और गुमशुदगी के मामलों से जुड़े पाए गए हैं, जिनमें चार ई-एफआईआर भी शामिल हैं. 

🚨📱 AEKC, CRIME BRANCH, DELHI BIG CATCH! 📱🚨

🛑 GANG OF NOTORIOUS PICKPOCKETS BUSTED
📱 26 COSTLY SMARTPHONES RECOVERED
✅ 10 CASES OF THEFT/LOST MOBILES SOLVED ➝ OTHERS BEING CONNECTED
🌍 RACKET LINKED TO NEIGHBOURING COUNTRY SUPPLY CHAIN

💪 A SUCCESSFUL OPERATION by Insp.… pic.twitter.com/gQD5aelzOQ

— Crime Branch Delhi Police (@CrimeBranchDP) August 30, 2025

आरोपियों की पृष्ठभूमि भी सामने आई है. ताज मोहम्मद मूल रूप से यूपी के बाराबंकी का रहने वाला है और केवल दूसरी कक्षा तक पढ़ा है. मजदूरी के बाद वह जेबकतरी की ओर झुक गया. उसका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है. परवेश बिहार के मुंगेर का रहने वाला है और सातवीं तक पढ़ा है. वह पहले भी तीन बार चोरी के मामलों में पकड़ा जा चुका है. करण उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर का रहने वाला है. 

करण ने आठवीं तक पढ़ाई के बाद पिता की मौत के चलते पढ़ाई छोड़ दी और मजदूरी शुरू कर दी, लेकिन जल्द ही चोरी के नेटवर्क में शामिल हो गया. उसके खिलाफ पहले से 13 आपराधिक मामले दर्ज हैं. यह गिरोह खास तौर पर भीड़भाड़ वाली बसों और मेट्रो ट्रेनों को निशाना बनाता था,. चोरी किए गए फोन रिसीवर्स तक तुरंत पहुंचाए जाते थे, जहां से इन्हें बांग्लादेश सप्लाई के लिए तैयार किया जाता था.

बताते चलें कि बीते शुक्रवार को भी पुलिस ने एक और अंतरराष्ट्रीय मोबाइल चोरी गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो दिल्ली से चोरी हुए फोन बांग्लादेश में बेचता था. उस ऑपरेशन में 50 लाख रुपये से अधिक कीमत के 294 चोरी के फोन बरामद किए गए थे. पुलिस ने आठ आरोपियों को दिल्ली और कोलकाता से गिरफ्तार किया था. बताया गया था कि इस गैंग का मास्टरमाइंड कोलकाता में बैठकर नेटवर्क संचालित करता था.

डीसीपी (दक्षिण) अंकित चौहान ने उस कार्रवाई पर जानकारी देते हुए बताया था कि दिल्ली से चोरी किए गए मोबाइल फोन भारत-बांग्लादेश सीमा पार पड़ोसी देश भेजे जाते थे. इस गिरोह को पकड़ने के लिए इंस्पेक्टर उमेश यादव की अगुवाई में विशेष टीम बनाई गई थी. इस टीम ने 27 जुलाई को दिनेश (52), रिजवान (38), रवि (30) और अजय (41) को दबोचा था. चारों आरोपी पहले भी चोरी के मामलों में संलिप्त रह चुके हैं.

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