साल 2002 के सनसनीखेज नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी ठहराए गए बाहुबली नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई. सोमवार को न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने उनकी याचिका खारिज करते हुए साफ किया कि अंतरिम जमानत की अवधि अब नहीं बढ़ाई जाएगी. शीर्ष अदालत ने उनको हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है.
54 साल के विकास यादव 25 साल की सजा काट रहे हैं. वो 23 साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुके हैं. उनकी मौजूदा अंतरिम जमानत 9 सितंबर को खत्म हो रही है. उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एस गुरुकृष्ण ने कोर्ट से निवेदन किया था कि कम से कम चार दिन और की मोहलत दी जाए ताकि वे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यह मांग सख्ती से ठुकरा दी.
अदालत को बताया गया कि विकास यादव की मां गंभीर रूप से बीमार हैं. वे उनके साथ समय बिताना चाहते हैं. उन्होंने यह भी दलील दी कि बीते शुक्रवार यानी 5 सितंबर को उनकी शादी हुई है और अदालत द्वारा लगाए गए 54 लाख रुपए के जुर्माने की व्यवस्था भी करनी है. इन आधारों पर उन्होंने अंतरिम जमानत बढ़ाने की अपील की, लेकिन पीठ ने इन तर्कों को मानने से साफ इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को उनकी अंतरिम जमानत एक हफ्ते के लिए बढ़ाई थी. इससे पहले उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन 22 अगस्त को कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी और सुनवाई 2 सितंबर तक टाल दी. हाईकोर्ट ने कहा कि वो इस दुविधा में है कि क्या उसके पास अंतरिम जमानत बढ़ाने का अधिकार है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि हाईकोर्ट की यह दुविधा वाजिब है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब इस पहले ही दोषसिद्धि और बिना किसी छूट वाली 25 साल की सजा को बरकरार रखा है, तो हाईकोर्ट के लिए इसके विपरीत जाकर राहत देना उचित नहीं होगा. कोर्ट ने साफ किया कि यदि कोई राहत संभव है तो वह केवल सुप्रीम कोर्ट से ही मिल सकती है. हालांकि, वापस सुप्रीम कोर्ट ने ही विकास यादव को हाईकोर्ट जाने की सलाह देकर उनको मामले को उलझा दिया है.
बताते चलें कि साल 2002 में एक युवा बिजनेस एग्जीक्यूटिव नीतीश कटारा का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी. वजह थी उनका विकास यादव की बहन भारती यादव के साथ कथित प्रेम संबंध. अलग-अलग जातियों से होने के कारण यादव बंधु इस रिश्ते के खिलाफ थे. यही वजह बनी कि विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को इस हत्याकांड का दोषी करार दिया गया.
इस मामले में एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. उन्होंने इस साल मार्च में पूरी सजा काट ली, जिसके बाद 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया था. इधर, विकास यादव पहले अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर जमानत पर बाहर आए थे और बाद में शादी के लिए उसे बढ़वा लिया. गाजियाबाद स्थित आवास पर उन्होंने हर्षिता यादव के साथ सात फेरे लिए.
फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद की रहने वाली हर्षिता यादव के पिता शिक्षक हैं. हर्षिता ने बीएससी और एमएससी के बाद बीटीसी की पढ़ाई की है. इसके साथ ही टेट की परीक्षा पास करने के बाद वह एक इंटर कॉलेज में बतौर लेक्चरर तैनात हैं. शादी का आयोजन बेहद सादगी से किया गया था और इसमें केवल परिवार के लोग मौजूद रहे. अब शादी के बाद विकास यादव को वापस जेल लौटना होगा.
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