नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने लिपुलेख ट्रेड रूट को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई द्विपक्षीय बैठक में जोरशोर से विरोध जताया. नेपाल लिपुलेख मार्ग को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसे खारिज करता रहा है. ओली ने चीन-भारत द्वारा इस मार्ग के व्यापारिक उपयोग पर असहमति जताई और चीन से नेपाल के हितों की रक्षा की उम्मीद की.
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नेपाल के पीएम ओली ने चीन में जिनपिंग के सामने उठाया लिपुलेख दर्रे का मामला (File Photo: Reuters/AP)
नेपाल ने एक बार फिर से लिपुलेख ट्रेड रूट का मुद्दा उठाया है. शनिवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने लिपुलेख का मुद्दा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने द्विपक्षीय बैठक में उठाया है. ओली ने लिपुलेख रास्ते को व्यापार मार्ग के रूप में इस्तेमाल किए जाने पर सख्त आपत्ति ज़ाहिर की है. यह जानकारी नेपाल के सचिवालय की ओर से आई है.
नेपाल की ओर से कई बार दावा किया जा चुका है लिपुलेख ट्रेड रूट पर नेपाल का अधिकार है. हालांकि, भारत ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि ये दावा सही नहीं है और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाण पर आधारित है.
नेपाल के प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री ओली ने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से चीन-भारत के द्वारा लिपुलेख का रास्ता व्यापार के लिए इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति ज़ाहिर की है. ओली ने कहा कि ये नेपाल का क्षेत्र है.
नेपाल का मानना है कि लिपुलेख के मुद्दे पर उसे चीन से सहयोग मिलेगा. द्विपक्षीय बैठक में ओली और जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमति जताई है.
प्रधानमंत्री ओली के साथ उनकी पत्नी राधिका शाक्य, विज्ञान और शिक्षा मंत्री रघुजी पंत, पर्यटन और सिविल एविएशन मंत्री बद्री पांडे और अन्य उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी भी मौजूद हैं.
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