जिंदगी और मौत के खेल ने राजस्थान के कोटा शहर के हरिओम नगर कच्ची बस्ती में एक परिवार को ऐसा दर्द दिया है. जिसे सुनकर हर किसी की आंख भर आई. मंगलवार को यहां एक मजदूर पिता की मौत हो गई. उनके अंतिम संस्कार के महज दो घंटे बाद ही उनके जवान बेटे ने भी हार्ट अटैक से दम तोड़ दिया.
परिवार के सामने दो-दो चिताओं का बोझ ऐसा टूटा कि गरीब हालत में आसपास के लोगों ने चंदा जुटाकर दोनों का अंतिम संस्कार कराया. जानकारी के अनुसार, हरिओम नगर निवासी 50 साल के पूरी लाल बैरवा मजदूरी कर परिवार का गुजारा करते थे. कई दिनों से लकवे की तकलीफ झेल रहे पूरी लाल ने मंगलवार सुबह अंतिम सांस ली. परिवार ने गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया, लेकिन यह परिवार के लिए अंत नहीं, बल्कि और गहरे दर्द की शुरुआत थी.
पिता की मौत से सदमे में आए 25 साल के राजू बैरवा का दिल यह गम बर्दाश्त नहीं कर पाया. पिता की चिता ठंडी होने से पहले ही दो घंटे बाद अचानक उसे हार्ट अटैक आया और उसकी भी मौत हो गई. घरवालों को जैसे यकीन ही नहीं हुआ कि चंद घंटों में पिता-पुत्र दोनों ही इस दुनिया को छोड़ जाएंगे. पिता की चिता की राख ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि बेटे की चिता सजानी पड़ी. मोहल्ले में यह हृदयविदारक दृश्य देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया और आंखें नम हो उठीं.
अंतिम संस्कार के लिए जुटानी पड़ी सहयोग राशि
मजदूरी कर गुजारा करने वाले इस परिवार की हालत ऐसी थी कि दोनों चिताओं के खर्च के लिए भी पैसों की तंगी आ गई. ऐसे में आसपास के लोग और परिचित आगे आए और सहयोग राशि जुटाकर पिता और पुत्र का अंतिम संस्कार पूरा कराया. अब इस घर में केवल मां गुड्डी और 13 साल का छोटा बेटा अरविंद ही बचे हैं. एक ही दिन में पति और बेटे को खोने वाली गुड्डी का रो-रोकर बुरा हाल है. अरविंद को समझ नहीं आ रहा कि परिवार पर टूटी इस त्रासदी के बाद उसको सहारा कौन होगा. मजदूर परिवार की इस दर्दनाक कहानी ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है.
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