बीते तीन दिनों से अस्थिर नेपाल में अब जाकर उम्मीद की किरण नजर आई है. सामने आया है नेपाल में Gen-Z के नेतृत्व वाले हिंसक प्रदर्शनों के बाद उपजे राजनीतिक संकट के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम पर ही मुहर लगी है कि वह अंतरिम सरकार की प्रमुख होंगी. राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के साथ सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल की मौजूदगी में Gen-Z समूहों की बैठक में सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बनी है.
पहले आई थी सहमति न बन पाने की बात
नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की पहले भी इस दौड़ में आगे ही चल रही थीं. उन्हें केपी शर्मा ओली के संभावित विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था, हालांकि तब सामने आया था कि उनकी उम्र व कुछ अन्य पहलुओं को देखते हुए उनके नाम की सहमति नहीं बन पा रही थी.
असल में इसके पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं. वैसे नेपाल में सुशीला कार्की की खुद की छवि तो साफ-सुथरी ही रही है, लेकिन उनके साथ कुछ विवादों का भी साया रहा है. सुशीला कार्की ने 2016 की 11 जुलाई को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली थी और तब उनकी नियुक्ति का समर्थन खुद केपी शर्मा ओली ने ही किया था, वही ओली अब पद से हटाए गए हैं.
मुख्य न्यायधीश रहते हुए लिए बड़े फैसले
कार्की का कार्यकाल एक साल का रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने कुछ बड़े और निर्णायक ऐसे फैसले लिए जिसने उनकी छवि मजबूत हुई. उन्होंने कुछ मंत्रियों और प्रभावशाली नौकरशाहों के खिलाफ निर्णायक फैसले सुनाकर एक निडर न्यायाधीश के रूप में अपनी पहचान बनाई.
नेपाल का सबसे चर्चित प्लेन हाइजैक
लेकिन एक बात है जो कार्की के साथ सीधे तौर पर जुड़ जाती है, वह है उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी और नेपाल के सबसे चर्चित मामले में उनकी संलिप्तता. दुर्गा प्रसाद सुबेदी नेपाल के पहले विमान अपहरण में शामिल थे. यह विमान हाइजैक कांड भारत के लिए भी चर्चा और परेशानी का विषय बन गया था, क्योंकि तब उसमें बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं.
साल 1973 की है घटना
यह बात साल 1973 की है. उस दौरान राजा महेंद्र का शासन था, जब नेपाल का पहला विमान अपहरण हुआ. 10 जून 1973 को, रॉयल नेपाल एयरलाइंस का एक विमान, जो बिराटनगर से काठमांडू जा रहा था, उसका अपहरण कर लिया गया. इस विमान में 19 यात्री सवार थे, जिनमें बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा भी शामिल थीं. इस अपहरण का मुख्य उद्देश्य विमान में मौजूद यात्रियों से अधिक, बिराटनगर के बैंकों से लाए जा रहे 30 लाख रुपये की नकदी थी. इस अपहरण की योजना तत्कालीन नेपाली कांग्रेस के नेता और बाद में पीएम बने प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने बनाई थी.
पूर्व पीएम रहे कोइराला और सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद ने बनाया था प्लान
इसका मकसद राजशाही के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के लिए धन जुटाना था. दुर्गा प्रसाद सुबेदी, जो उस समय हाल ही में जेल से रिहा हुए थे, कोइराला के करीबी सहयोगी थे. हाइजैक किए गए प्लेन को भारत में बिहार के फोर्ब्सगंज में उतारा गया, और लूटी गई राशि को बाद में कार से दार्जिलिंग ले जाया गया. सुबेदी और अन्य अपहरणकर्ताओं को बाद में मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया और दो साल तक जेल में रखा गया. 1975 में भारत में आपातकाल के दौरान उन्हें रिहा कर दिया गया.
सुशीला कार्की ने सुनाए कई कड़े निर्णायक फैसले
सुशीला कार्की ने अपने पति के विवादास्पद अतीत के बावजूद अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को कभी कमजोर नहीं होने दिया. मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए. उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि थी तत्कालीन सूचना और संचार मंत्री जयप्रकाश गुप्ता को पद पर रहते हुए जेल की सजा सुनाना. यह नेपाल के इतिहास में पहली बार था जब किसी सिटिंग मंत्री को इस तरह की सजा दी गई.
इसके अलावा, उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख लोकमान सिंह कार्की को पद से हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद उन्हें कनाडा में निर्वासन में जाना पड़ा. कार्की ने अपने फैसलों से न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, बल्कि न्यायिक सुधारों को भी बढ़ावा दिया. उनकी निडरता ने उन्हें जनता के बीच एक सम्मानित व्यक्तित्व बनाया, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच, जो भ्रष्टाचार और सत्तावाद के खिलाफ आवाज उठा रही है.
चुनौती भरा रहा है कार्यकाल
हालांकि, सुशीला कार्की का कार्यकाल चुनौतियों से खाली नहीं था. उनके साहसिक फैसलों ने राजनीतिक हलकों में विवाद पैदा किया. नेपाली संसद ने उनके खिलाफ कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, जिसके कारण उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद पर बहाल कर दिया. इस घटना ने नेपाल के संवैधानिक ढांचे में बदलाव लाने का मौका दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने नियम में संशोधन किया, जिसके तहत अब महाभियोग प्रस्ताव दाखिल होने मात्र से मुख्य न्यायाधीश को निलंबित नहीं किया जा सकता.
सुशीला कार्की का जीवन सफर
सुशीला कार्की का जन्म नेपाल के बिराटनगर में हुआ था. उनके परिवार का नेपाल कांग्रेस के संस्थापक बीपी कोइराला से निकट का संबंध था. उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन कार्की ने कानून के क्षेत्र को चुना. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की, जहां उनकी मुलाकात उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई. इसके बाद उन्होंने काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की. कार्की ने अपने करियर में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और न्यायिक सुधारों के लिए काम किया. उनकी निडरता और स्वतंत्रता ने उन्हें नेपाल के न्यायिक इतिहास में एक अलग पहचान दी.
वर्तमान में नेपाल भ्रष्टाचार और सत्तावाद के खिलाफ Gen- Z के नेतृत्व में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अब नेपाल में स्थिरता की उम्मीद जगी है. कार्की के नाम पर सहमति बनी है और नेपाल में उनका शपथग्रहण जल्द ही होने जा रही है. अंतरिम सरकार की कमान संभालने के बाद, कार्की को एक बार फिर अपनी उस निडरता का प्रदर्शन करना होगा, जिसने उन्हें नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रसिद्ध किया.
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