एक इंस्टाग्राम पेज की शिकायत पर हाल ही में बेंगलुरु में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया. शिकायत के अनुसार चर्च स्ट्रीट और कोरमंगला जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चुपके से महिलाओं की वीडियो शेयर की जा रही थीं. इस परेशान करने वाली प्रवृत्ति को 'क्रीपशॉट्स' कहा जाता है जो सोशल मीडिया के जहरीले कोनों में बढ़ रही है.
Indianwalk नाम के अकाउंट ने चर्च स्ट्रीट पर अनजाने में एक छात्रा का वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो वायरल होने के बाद उस छात्रा को सोशल मीडिया पर अश्लील मैसेज मिलने शुरू हुए. इंडिया टुडे की OSINT टीम ने यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर 23 अन्य अकाउंट्स पाए जहां कंटेंट क्रिएटर्स ने अपने सामान्य वीडियो को दर्शक न मिलने पर महिलाओं की चुपके से वीडियो बनाना शुरू किया.
उदाहरण के लिए यूट्यूब अकाउंट BiOdiaGuy (बेंगलुरु इन ओडिया गाय) के 1.7K सब्सक्राइबर्स और 221 वीडियो हैं. उनके शुरुआती मंदिरों के ट्रैवल वीडियोज कोणार्क, बनशंकरी और जगन्नाथ जैसे नौ मंदिरों को कुछ सौ व्यूज ही मिले लेकिन कोरमंगला की नाइटलाइफ का एक रैंडम वीडियो आसानी से 1,500 व्यूज ले आया.
इसके बाद उनका कंटेंट अश्लील होता गया. चर्च स्ट्रीट, एमजी रोड, और कोरमंगला में महिलाओं को निशाना बनाया गया, खासकर पब, व्यस्त सड़कों और होली जैसे त्योहारों के दौरान.
पार्कों में अनजान जोड़ों की वीडियो भी बनाई गईं. बैनर इमेज में अक्सर असंबंधित महिलाओं को उत्तेजक पोज में दिखाया जाता है, लेकिन असल समस्या यह है कि ये वीडियो बिना सहमति या जानकारी के बनाए गए. यह कोई अकेला मामला नहीं. दिल्ली मेट्रो, बेंगलुरु के पब और चंडीगढ़ के बाजारों में बिना सहमति के महिलाओं की वीडियो इंटरनेट पर भरी पड़ी हैं. ज्यादातर समय वे बस खरीदारी, खाना खा रही होती हैं या टहल रही होती हैं पूरी तरह अनजान. वीडियो में उनके शरीर के खास हिस्सों पर फोकस किया जाता है, भले ही वे पूरी तरह कपड़े पहने हों.
एक और उदाहरण है इंस्टाग्राम हैंडल Dilbar Jaani, जिसके 37.9K फॉलोअर्स हैं. उनके शुरुआती गाने वाले वीडियो को ज्यादा ध्यान नहीं मिला लेकिन बाद में उनकी फीड बेंगलुरु की सड़कों पर चुपके से बनाए गए महिलाओं के वीडियो से भर गई. मेट्रो स्टेशन, जहां महिलाएं रोजाना सफर करती हैं, दिल्ली और बेंगलुरु में क्रीपशॉट्स के लिए शिकारगाह बन गए हैं. पब, पार्टी, बाजार और खाने की जगहें आदि कोई भी जगह निजी नहीं रह गई. निजता बिक रही है.
स्कूली छात्राओं से लेकर कॉलेज की लड़कियां और ऑफिस जाने वाली महिलाओं तक, सैकड़ों महिलाओं की बिना सहमति के वीडियो बनाई जा रही हैं और कंटेंट के रूप में बेची जा रही हैं. ये वीडियो केवल उन सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं जो सब्सक्रिप्शन शुल्क देते हैं. रोजमर्रा के पल बंडल बनाकर यूट्यूब पर 199 रुपये प्रति माह में बेचे जा रहे हैं. एक चैनल के 11,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और 100 से अधिक ऐसे क्लिप्स 199 से 799 रुपये प्रति माह के सब्सक्रिप्शन पर उपलब्ध हैं. जब हर हाथ में कैमरा और हर कोने में सर्विलांस कैमरा है तो क्या सार्वजनिक जगहों पर पूरी तरह कपड़े पहने हुए भी हमारी निजता बची रह सकती है?
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With Input: खुशी सोनकर