बालेन शाह अकेले नहीं, पीएम की रेस में रबी लामिछाने भी... 2024 में ही दे दी थी क्रांति की चेतावनी

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नेपाल की सड़कों पर भड़की हिंसा और संसद भवन तक जलाई जाने के बाद अब सत्ता का समीकरण तेजी से बदल रहा है. काठमांडू के मेयर बालेन शाह को लेकर जहां नई पीढ़ी का झुकाव साफ दिख रहा है, वहीं अब चर्चाओं में एक और बड़ा नाम है- रबी लामिछाने.

लामिछाने, जो हाल ही में जेल से बाहर आए हैं, ने अक्टूबर 2024 के अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ही क्रांति की चेतावनी दे दी थी. अप्रैल 2025 में गिरफ्तार हुए और हाल ही में जेल से रिहा हुए रबी लामिछाने एक बार फिर नेपाल की राजनीति के केंद्र में हैं. उनकी गिरफ्तारी सहकारी घोटाले से जुड़े मामले में हुई थी. लेकिन अब नेपाल में जिस तरह सोशल मीडिया बैन और सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध देखने को मिला, उसमें उनका एक पुराना पोस्ट फिर से वायरल हो रहा है.

लामिछाने की 2024 की पोस्ट वायरल

अक्टूबर 2024 में किए गए इस पोस्ट में लामिछाने ने लिखा था- 'सरकार मर चुकी है, हम मुसीबत में हैं. आपके हाथ में तस्कर की दी हुई करोड़ों की घड़ी है, मेरे हाथ में हथकड़ियां. आपने और आपके नेताओं ने मिलकर सहकारी समिति से 87 अरब का गबन किया. अब हम सहकारी पीड़ितों की आवाज का नेतृत्व करेंगे. ओली जी, आपकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. आपने इसे शुरू किया, लेकिन हम इसे खत्म करेंगे. नेपाली लोग इसे खत्म करेंगे और इसे जल्द ही करेंगे.'

सरकार मर्‍यो,हामीलाई जुठो पर्‍यो !!
तपाईंको हातमा तस्करले दिएको करोड पर्ने घडी ,मेरो हातमा चाहि हतकडी ??
तपाई विचौलियाको सेवा गरे बापत लाखौंको चस्मा र जुत्ता लगाउने, मुद्दा मैले खेपि दिनुपर्ने?
तपाई प्रमाणित भ्रष्टाचारी बाट करोडौंको जग्गा खुल्लम खुल्ला लिने,मैले ठगीको आरोप…

— Rabi Lamichhane (@hamrorabi) October 18, 2024

लामिछाने ने इस पोस्ट में तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली पर भी निशाना साधा था और उनकी सरकार को भ्रष्टाचारियों का संरक्षक बताया था. उन्होंने लिखा था कि सरकार बदनीयती से नई पीढ़ी को खत्म कर रही है, लेकिन अंतत: यह सरकार खुद रसातल में जाएगी.

गिर गई ओली सरकार

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़की हिंसा को Gen-Z क्रांति कहा जा रहा है. इस बीच लामिछाने का पुराना पोस्ट मौजूदा घटनाओं से मेल खाता दिख रहा है. खासकर 'उलटी गिनती' और 'नेपाली लोग इसे खत्म करेंगे' जैसे वाक्यों को अब सरकार-विरोधी आंदोलन की अघोषित चेतावनी माना जा रहा है.

हालांकि, लामिछाने ने अपने पोस्ट में हिंसा या अराजकता का सीधा आह्वान नहीं किया था, बल्कि न्यायपालिका और 'न्यायप्रिय लोगों' से उम्मीद जताई थी. लेकिन मौजूदा अस्थिरता ने उनके पुराने शब्दों को नई राजनीतिक धार दे दी है.

नेपाल में Gen-Z क्रांति

बताते चलें कि नेपाल इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ युवा विरोध अब एक बड़ी राजनीतिक भूचाल में बदल गया है. काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन हिंसक हुए. सरकारी दफ्तरों, नेताओं के घरों और यहां तक कि संसद भवन तक को आग के हवाले कर दिया गया. हालात इतने बिगड़े कि सुरक्षा बलों ने गोली चलाई, जिसमें 19 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए.

केपी ओली को देना पड़ा इस्तीफा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा. सेना राजधानी की सड़कों पर गश्त कर रही है, कर्फ्यू लागू है और जेलों पर हमले के बाद हजारों कैदी फरार बताए जा रहे हैं. पड़ोसी भारत ने भी सीमा पर अलर्ट बढ़ा दिया है. नेपाल की सड़कों पर अब भी धुएं के बादल और गुस्से की लहर है.  

नेपाल के अगले पीएम पर सस्पेंस बरकरार

ऐसे में सवाल यह है कि ओली के इस्तीफे के बाद सत्ता की गाड़ी किस ओर मुड़ेगी- क्या बालेन शाह युवाओं के पोस्टर लीडर बनकर उभरेंगे या रबी लामिछाने अपनी पहले से जताई ‘क्रांति’ की बात को राजनीतिक ताकत में बदल पाएंगे?

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