लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भर्ती एक मरीज की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई. मृतक की पहचान 36 वर्षीय सिद्धार्थ राय निवासी इंदिरा नगर सेक्टर-11 के रहने वाले के रूप में हुई है. सिद्धार्थ पिछले दो साल से डालीगंज स्थित अस्पताल में नियमित डायलिसिस करवा रहे थे. परिवारजों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही के कारण सिद्धार्थ की जान चली गई, जिससे संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.
मृतक के भाई राहुल राय ने बताया कि सिद्धार्थ को 20 जुलाई को किडनी ट्रांसप्लांट से पहले भर्ती किया गया था. डायलिसिस के दौरान उनका ब्लड प्रेशर अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिसके बावजूद डॉक्टरों ने डायलिसिस की प्रक्रिया जारी रखी.
'वक्त पर नहीं मिला सही इलाज'
राहुल का आरोप है कि इस लापरवाही के कारण सिद्धार्थ को ब्रेन हैमरेज हुआ, जिससे उनकी दिमाग की नस फट गई और वह कोमा में चले गए. परिजनों का ये भी कहना है कि मरीज को वक्त पर यूरोलॉजी वार्ड से न्यूरो वार्ड में स्थानांतरित नहीं किया गया और ना ही उन्हें आवश्यक इलाज मिला.
'9:20 पर दी मृत्यु की जानकारी पर...'
राहुल ने संस्थान पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगों को सुबह 9:20 बजे सिद्धार्थ की मौत की सूचना दी गई थी और उस वक्त मरीज के शरीर से सभी मेडिकल उपकरण हटा दिए गए थे, लेकिन अस्पताल द्वारा जारी किए मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का समय 9:50 बजे का दर्ज किया गया है.
परिजनों ने इस असमानता को भी लापरवाही का हिस्सा बताते हुए मामले की शिकायत उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से करने की बात कही है.
मामले की जांच का आदेश
वहीं, लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन तिवारी ने बताया कि मरीज को 20 जुलाई को ट्रांसप्लांट से पहले भर्ती किया गया था. भर्ती के बाद रूटीन चेकअप और डायलिसिस की प्रक्रिया चल रही थी. डायलिसिस के दौरान अचानक सिद्धार्थ का ब्लड प्रेशर काफी बढ़ गया, जिसके चलते ब्रेन हैमरेज हुआ और मरीज की मौत हो गई. प्रवक्ता ने कहा कि मौत के सटीक कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जांच की जा रही है.
परिजनों के अनुसार, सिद्धार्थ और उनके परिवार ने जनवरी में ही किडनी ट्रांसप्लांट का फैसला किया था. डॉक्टरों ने इसके लिए 23 जुलाई की तारीख तय की थी. इसी प्रक्रिया के तहत सिद्धार्थ को 20 जुलाई को भर्ती किया गया था, लेकिन डायलिसिस के दौरान हुई इस घटना ने न केवल परिवार को गहरा सदमा दिया, बल्कि अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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