इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेले जा रहे टेस्ट मैच में भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. बुमराह इंग्लैंड की पहली पारी में सिर्फ एक विकेट ले पाए हैं. तीसरे दिन (25 जुलाई) के खेल में बुमराह की फिटनेस को लेकर भी अटकलें लगती रहीं. भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने जब दूसरी नई गेंद ली, तो बुमराह ने सिर्फ एक ओवर फेंका और वो मैदान से बाहर चले गए. अच्छी बात यह थी कि बुमराह चायकाल से कुछ देर पहले मैदान पर वापस लौटे.
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मैदान पर वापसी के बाद भी जसप्रीत बुमराह लय में नहीं दिखे और उन्हें बाएं टखने में थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था. बुमराह ने दिन के आखिर में जेमी स्मिथ का विकेट जरूर लिया, लेकिन उनकी गेंदबाजी में धार गायब नजर आई. बुमराह ने 28 ओवर में 95 रन खर्च किए. उधर मोहम्मद सिराज भी हल्की चोट से जूझते नजर आए, लेकिन उन्होंने गेंदबाजी जारी रखी.
अब भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्केल ने जसप्रीत बुमराह की फिटनेस पर चुप्पी तोड़ी है. मोर्केल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सीढ़ियों से उतरते वक्त बुमराह अपना टखना मोड़ बैठे थे. जबकि मोहम्मद सिराज ने भी एक फुटहोल पर ऐसा ही किया था. मोर्केल के मुताबिक दोनों खिलाड़ी अब ठीक हैं.
बुमराह का टखना मुड़ गया था: मोर्केल
मोर्ने मोर्केल ने कहा, 'दुर्भाग्य से जब हमने दूसरी नई गेंद ली, तो सीढ़ियों से उतरते समय बुमराह का टखना मुड़ गया था. फिर सिराज का भी पैर एक फुटहोल में मुड़ गया. लेकिन दोनों अभी ठीक लग रहे हैं.' तीसरे दिन भारतीय तेज गेंदबाजों की बॉलिंग में रफ्तार नजर नहीं आई. जसप्रीत बुमराह सामान्यतः 138-142 KMPH की स्पीड से गेंदबाजी करते हैं, लेकिन उनकी बॉलिंग स्पीड में गिरावट देखने को मिली. डेब्यूटेंट अंशुल कम्बोज भी 120 KMPH से कम की स्पीड पर गेंदबाजी करते दिखे, जिससे उनकी फिटनेस को लेकर सवाल उठने लगे.
मोर्ने मोर्केल ने माना कि सपाट पिचों पर मौके बनाने के लिए गेंदबाजों को और अधिक गेंद एनर्जी की जरूरत होती है. मोर्केल ने कहा, 'ये ऐसी चीज है जिस पर हम भी विचार कर रहे हैं. ऐसी सपाट विकेटों पर आपको गेंद में थोड़ी एनर्जी चाहिए होती है, ताकि कैच या LBW के मौके बनें.' मोर्कल ने ये भी कहा कि खिलाड़ियों का वर्कलोड और भारी आउटफील्ड भी बॉलिंग स्पीड में गिरावट की वजह हो सकती है.
मोर्ने मोर्केल कहते हैं, 'सिराज जैसे खिलाड़ियों पर काफी वर्कलोड रहा है. अंशुल का यह पहला टेस्ट है, ऐसे में यह जरूरी है कि हम एक मजबूत फास्ट बॉलिंग यूनिट विकसित करें. सिर्फ स्पीड के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता. आउटफील्ड भारी था. लेकिन खिलाड़ियों के जोश और मेहनत में कोई कमी नहीं थी. यह बस वैसा दिन था जहां गेंद ज्यादा मूव नहीं कर रही थी, ऐसे में मौके बनाने के लिए अतिरिक्त एनर्जी की जरूरत थी.'
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