Photo: Reditt/ @Bengaluru
s-बेंगलुरु में 14 साल बैंकिंग में काम कर चुका एक शख्स बेरोजगार होकर सड़क पर मदद मांगते दिखा, जिसकी तस्वीरें रेडिट पर वायरल हो गईं. इस घटना पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. h- बेंगलुरु से एक भावुक करने वाली घटना सामने आई है. रेडिट पर एक यूजर ने शहर के व्यस्त सिग्नल से दो तस्वीरें शेयर कीं, जिसने लोगों का ध्यान खींच लिया. तस्वीरों में एक शख्स फुटपाथ पर बैठा है. उसके हाथ में एक नोट है और पास में बैकपैक रखा है. नोट में अंग्रेजी और कन्नड़ दोनों में लिखा है: “मेरे पास न नौकरी है और न ही घर. कृपया मेरी मदद करें. मुझे बैंकिंग में 14 साल का अनुभव है.” @Being-Brilliant नाम के रेडिट यूजर ने पोस्ट के साथ कैप्शन लिखा: "बेंगलुरु के एक प्रमुख सिग्नल पर इस आदमी से मुलाकात हुई. उसे देखकर दिल टूट गया, लेकिन मैं सोच रहा हूं कि क्या यह समाज की नाकामी का नतीजा है या व्यक्तिगत फ़ैसलों का?"
सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल
फुटपाथ पर बैठे शख्स के पास आप एक छोटा कागज भी देख सकते हैं, जिस पर एक क्यूआर कोड रखा है, शायद डिजिटल पेमेंट या किसी भी तरह की मदद के लिए. पहली तस्वीर में पूरा दृश्य दिखता है, जबकि दूसरी तस्वीर में उस कागज़ पर लिखा संदेश साफ दिखाई दे रहा है. यह पोस्ट सोशल मीडिया वायरल हो रहा है.
यह काफी चर्चा का विषय है कि 14 साल बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाला इंसान आखिर कैसे बेरोजगार होकर सड़क पर मदद मांगने की हालत में कैसे आ गया. रेडिट पोस्ट में 14 साल से बैंकिंग क्षेत्र में काम कर रहे बेंगलुरु के एक व्यक्ति को फुटपाथ पर बैठे हुए दिखाया गया है, जिसके हाथ में एक नोट है, जिसमें लिखा है कि उसके पास न तो कोई नौकरी है और न ही कोई घर.
किसी युवा के लिए भीख मांगना बहाना नहीं
इस पोस्ट ने शीघ्र ही लोगों का ध्यान आकर्षित किया. एक यूजर ने कहा, "लोग उसकी मदद कर सकते हैं और उसके बायोडाटा के आधार पर उसकी सिफारिश कर सकते हैं, उसके पास 14 साल का बैंकिंग अनुभव है. एक अन्य यूजर ने लिखा- "किसी युवा के लिए इस तरह से भीख मांगने का कोई बहाना नहीं है, खासकर बैंगलोर जैसे शहर में जहां काम करने की इच्छा होने पर नौकरियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं."
डिलीवरी या ड्राइविंग जैसा काम कर सकता है शख्स
कुछ लोगों का कहना है कि अगर वह शख्स शारीरिक रूप से ठीक है, तो उसे डिलीवरी या ड्राइविंग जैसा काम कर लेना चाहिए. लेकिन असलियत यह है कि जब कोई लंबे समय तक बेरोजगार रहता है, तो वह मानसिक रूप से टूटने लगता है और डिप्रेशन में जा सकता है. यही वजह भी उसे काम करने से रोक सकती है. एक अन्य यूज़र ने इंसानियत की बात उठाई.
उन्होंने लिखा, “किसी इंसान की ज़िंदगी का सम्मान तभी होता है जब वह कुछ हासिल कर ले. बिना उसकी कहानी जाने उस पर राय बनाना ठीक नहीं है.” वहीं, एक और शख्स ने हैरानी जताते हुए कहा, “क्या उसके सर्टिफिकेट खो गए हैं या नष्ट हो गए? अगर ऐसा है तो यह बहुत दुखद है. लेकिन अगर वह काम करने या नौकरी ढूंढने से ही बच रहा है, तो यह उसकी निजी समस्या है.”
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