ब्राउन शुगर, गुड़, स्टेविया...क्या चीनी के ये विकल्प सच में उतने हेल्दी हैं, जितने बताए जाते हैं?

1 week ago 1

Healthy sugar substitute: हममें से अधिकतर लोग चीनी के सेवन को कम करने के लिए उसके ऑपशंस तलाशते रहते हैं ताकि वे मीठा भी खा सकें और वो चीनी की तरह नुकसान भी ना करे. चीनी के विकल्पों के रूप में लोग ब्राउन शुगर, गुड़, शहद, स्टेविया और मॉन्क फ्रूट जैसे कई शुगर सब्स्टिट्यूट का उपयोग कर रहे हैं. इन्हें अक्सर 'हेल्दी' बताकर बेचा जाता है लेकिन लोग मान भी लेते हैं कि ये चीनी से बेहतर होंगे. लेकिन क्या आपे कभी सोचा है कि क्या ये सच में उतने फायदेमंद हैं, जितना बताया जाता है? इस आर्टिकल में हम आपको इन सभी शुगर सब्स्टिट्यूट्स की वैज्ञानिक तुलना करेंगे और उनकी इसली संरचना, शरीर पर असर बताएंगे ताकि आप खुद अंदाजा लगा पाएं कि क्या ये सच में हेल्दी हैं.

1. टेबल शुगर (Sugar)

मुख्य कंपाउंड: 50% ग्लूकोज + 50% फ्रुक्टोज

शरीर पर प्रभाव: इसका अधिक सेवन करने से शरीर में एक्स्ट्रा कैलोरीज जाती हं. भारत में इनका मुख्य सोर्स मीठी ड्रिंक, मिठाइयां आदि हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 2,000 कैलोरी लेने वालों को फ्री शुगर की मात्रा को 50 ग्राम/दिन तक सीमित रखने की सलाह देता है.

क्या करें: टेबल शुगर का कम से कम सेवन करें. यही सिर्फ एनर्जी का सोर्स नहीं है.

2. शहद (Honey)

मुख्य कंपाउंड: 80% कार्बोहाइड्रेट (ज्यादातर फ्रुक्टोज + ग्लूकोज), 15-17% पानी, थोड़ी मात्रा में बायोएक्टिव/एंटीऑक्सीडेंट.

शरीर पर प्रभाव: शहद में कोई भी 'एंटीऑक्सीडेंट' नहीं होते हैं. मेटाबॉलिज्म की दृष्टि से यह सिर्फ चीनी है.

लेबलिंग: न्यूट्रिशन फैक्ट में इसे सिर्फ एडेड शुगर के रूप में गिना जाता है.

क्या करें: टेस्टी होता है लेकिन हेल्दी स्वीटनर नहीं है.

3. गुड़ (Jaggery)

मुख्य कंपाउंड: गन्ना या ताड़ से बनी बिना ज्यादा प्रोसेस की हुई देशी गुड़, ज़्यादातर हिस्सा मीठा (सुक्रोज) जिसमें थोड़ी मात्रा में मिनरल्स/फेनोलिक्स होते हैं.

सेहत पर प्रभाव: इसमें जो थोड़े-बहुत मिनरल्स हैं और वो ज़्यादा फायदा नहीं देते. इसकी मीठास और कैलोरी वैसे ही खून में शुगर बढ़ाती हैं.

क्या करें: गुड़ भी चीनी की तुलना में सेहत के लिए बेहतर नहीं है.

4. चीनी के सब्स्टिट्यूट्स (Fructose/HFCS/Diet)

मुख्य कंपाउंड: साधारण चीनी है. प्रोडक्ट्स में यह अक्सर हाई-फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (एचएफसीएस) के रूप में दिखाई देती है. आमतौर पर इसमें 42% या 55% फ्रुक्टोज होती है.

सेहत पर प्रभाव: ये चीनी ज्यादा खाने से होने वाले नुकसान जैसे मोटापा, डायबिटीज को नहीं रोकती. लिक्विड चीनी में यह अधिक मात्रा में होती है इसलिए इनसे ओवरईटिंग/ओवरड्रिंकिंग जल्दी होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सभी फ्री शुगर (सिर्फ सुक्रोज़ ही नहीं, बल्कि शहद, गुड़, सिरप, फलों का जूस वगैरह में मौजूद चीनी भी) कम मात्रा में लेनी चाहिए.

क्या करें: 

इसे हेल्दी या चीनी का अच्छा विकल्प मानकर इस्तेमाल करना सही नहीं है

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5. स्टेविया (Stevia rebaudiana)

मुख्य कंपाउंड: स्टेविया पौधे की पत्तियों से निकाला जाता है. इसमें स्टीवियोल ग्लाइकोसाइड होते हैं जो चीनी से 200-300 गुना अधिक मीठे होते हैं.

सेहत पर प्रभाव: प्रति सर्विंग लगभग शून्य कैलोरी होती है. ब्लड शुगर या इंसुलिन के लेवल को नहीं बढ़ाता. FDA लेबल पर इसे चीनी नहीं माना जाता लेकिन WHO फिर भी वजन कंट्रोल नियंत्रित करने या बीमारी से बचाव के लिए इसके इस्तेमाल की सलाह नहीं देता.

ट्रिकी डिटेल: बाजार में उपलब्ध कई स्टेविया प्रोडक्ट प्योर नहीं होते. उनमें एरिथ्रिटोल, माल्टोडेक्सट्रिन या डेक्सट्रोज मिला होता है. इसके लिए लेबल पढ़े.

क्या करें: कम मात्रा में सेवन कर सकते हैं लेकिन इसे अअपनी रोजाना की डाइट में जरूरत से अधिक मिठास के लिए इस्तेमाल न करें.

6. मोंक फ्रूट (Luo Han Guo)

मुख्य कंपाउंड: मोग्रोसाइड्स (विशेषकर मोग्रोसाइड V) जो फलों से निकाले जाते हैं. वो चीनी से 150-250 गुना अधिक मीठे होते हैं इसलिए बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है.

सेहत पर प्रभाव: इसे भी चीनी नहीं माना जाता. प्रति सर्विंग बहुत कम या ना के बराबर कैलोरी होती है. लेकिन याद रखें कि इसे भी WHO शरीर के वजन को कंट्रोल करने या नॉन-इंफेक्शन डिसीज (जैसे डायबिटीज, दिल की बीमारी) से बचने के चीनी की जगह आर्टिफिशिअल या बिना चीनी वाले स्वीटनर लेने को सही नहीं बताता.

ट्रिकी डिटेल: कई रिटेल मॉन्क-फ्रूट प्रोडक्ट में एरिथ्रिटोल/डेक्सट्रोज के मिश्रण से बने होते हैं इसलिए लेबल ध्यान से पढ़ें.

क्या करें: स्टीविया से भी बेहतर स्वाद है लेकिन इसका इस्तेमाल कम मात्रा में करना चाहिए.

क्या अधिक हेल्दी है?

अगर आपको मीठा डालना ही है तो थोड़ी सी मात्रा में प्योर मोंक फ्रूट या स्टीविया डाल सकते हैं क्योंकि ये चीनी, शहद, गुड़ या फ्रक्टोज़ से बेहतर मानी जाती है. इसका कारण है कि ये सामान्य उपयोग में कैलोरी नहीं बढ़ाती हैं. लेकिन याद रहे वजन कम करने या बीमारियों से बचने के लिए किसी भी मिठास (चाहे नेचुरल हो या आर्टिफिशियल) पर भरोसा करना सही नहीं है. WHO भी साफ़ तौर पर यही सलाह देता है.

सिर्फ चाय या कॉफ़ी में ही नहीं, बल्कि अपनी पूरी डाइट में कम मीठा खाने की आदत डालें क्योंकि चीनी कई इनडायरेक्ट सोर्स से भी हमारे शरीर में जाती है जैसे कोल्ड्रिंक्स, मिठाई, सॉस, पैक्ड स्नैक्स आदि. धीरे-धीरे ये सब मिलकर शरीर में चीनी की काफी मात्रा शरीर में इकट्ठी कर देते हैं.

WHO का कहना है, 'वयस्कों और बच्चों, दोनों को अपनी रोजाना की कुल कैलोरी के 10 प्रतिशत हिस्से से अधिक चीनी नहीं खाना चाहिए. न्यूट्रिशन की दृष्टि से लोगों को अपनी डाइट में चीनी लेने की कोई जरूरत नहीं है. अपने शरीर से किसी भी चीज को हटा ही देना बुद्धिमानी नहीं है बल्कि उसकी मात्रा को सीमित करना चाहिए. अधिक शारीरिक फायदों के लिए आप चीनी का सेवन कुल कैलोरीज के 5 प्रतिशत हिस्से तक सीमित रखें जो लगभग 25 ग्राम (लगभग 6 चम्मच) प्रतिदिन है.

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