भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने पर काम किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, सितंबर से अक्टूबर तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता होने की संभावना है. भारतीय डेलिगेशन अमेरिका से वापस आ चुका है. अब उम्मीद की जा रही है कि अगस्त के दूसरे हफ्ते में अमेरिकी डेलिगेशन भारत आएगा.
दोनों देश सितंबर या अक्टूबर तक बाइलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट (बीटीए) को अंतिम रूप देने का टारगेट लेकर चल रहे हैं. वार्ता के नवीनतम दौर, यानी पांचवें दौर में वॉशिंगटन में भारतीय डेलिगेशन ने ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील और कृषि उत्पादों पर शुल्कों को लेकर गतिरोध को तोड़ने की कोशिश की. ये मुद्दे इस लंबी वार्ता में एक बड़ी अड़चन बनकर उभरे हैं.
हालांकि, बातचीत बेनतीजा रही और भारतीय डेलिगेशन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 1 अगस्त को टैरिफ़ पर रोक लगाने की समयसीमा से कुछ ही दिन पहले देश वापस लौट आया. व्यापार समझौते के बिना, भारत को 26 फीसदी टैरिफ़ के लिए तैयार रहना होगा, लेकिन सरकार का कहना है कि भारत, अमेरिका के साथ तभी समझौता करेगा, जब उसके हितों की रक्षा होगी.
क्यों नहीं हो पा रही है डील?
भारत द्वारा एग्रीकल्चर के जुड़ी अमेरिकी मांगों को मानने से इनकार करने के बाद बातचीत में रुकावट आ गई. सूत्रों ने पहले बताया था कि दोनों देश जून के आखिरी तक समझौता करने के करीब थे, लेकिन ट्रंप द्वारा निर्धारित 9 जुलाई की समयसीमा से पहले ही बातचीत टूट गई. अपने डेयरी सेक्यर की सुरक्षा को लेकर भारत का रुख बातचीत के अंतिम चरण तक न पहुंच पाने का एक प्रमुख कारण था.
इस बीच, ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि भारत के साथ बीटीए यानी बाइलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट करीब तय हो चुका है. फिर भी, उन्होंने ब्रिक्स समूह के सदस्यों सहित कई देशों से आयात पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिसका भारत भी सदस्य है.
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BRICS देशों को ट्रंप की चेतावनी
पिछले हफ़्ते, अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोहराया कि अगर ब्रिक्स देश डी-डॉलराइजेशन का रास्ता अपनाने की हिम्मत करते हैं, तो उन्हें 10 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने रूसी वस्तुओं पर 100 फीसदी शुल्क लगाने की भी चेतावनी दी और रूसी तेल ख़रीदने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने का इशारा किया. अगर ऐसा होता है, तो भारत पर इसका बड़ा असर पड़ेगा.
कम से कम 14 देशों को वॉशिंगटन से 25 से 40 फीसदी तक के आगामी टैरिफ के बारे में औपचारिक सूचना मिली है, जबकि भारत को ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है. इससे यह उम्मीद जगी है कि बढ़ते दबाव के बावजूद, बातचीत अभी भी जारी है.
अगस्त में होने वाली वार्ता के नतीजों से यह तय हो सकता है कि क्या भारत 500 फीसदी तक के दंडात्मक शुल्क से बच सकता है और वॉशिंगटन के साथ लंबे वक्त से लंबित व्यापार समझौता कर सकता है, जो दोनों सरकारों के बार-बार आश्वासन के बावजूद अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
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