नेपाल में जेन जी सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. नेपाल सरकार ने फैसला लिया है कि देश में इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया है. इसके खिलाफ प्रदर्शनकारी नेपाल के संसद परिसर में घुस गए हैं. इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की. इस आंदोलन में प्रदर्शनकारियों के मौत होने की भी खबर हैं. हालांकि यह पहला आंदोलन नहीं है जब युवाओं ने अपनी मांगों के खिलाफ आवाज उठाई हो. आइए जानते हैं युवाओं के वो कौन-से आंदोलन रह हैं जिनकी तेज गूंज आज भी लोगों को याद है.
मिस्र की युवा क्रांति (Egyptian Revolution, 2011)
जब बात युवा क्रांति की आती है तब मिस्र का युवा आंदोलन जरूर याद आता है. यहां युवाओं के आंदोलन ने 30 सालों तक राज कर रहे तानाशाह हुस्नी मुबारक को अपना पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, गरीबी और स्वतंत्रता की कमी के खिलाफ लाखों युवा तहरीर स्क्वायर (काहिरा) और अन्य शहरों में सड़कों पर उतर आए थे. आखिरकार 25 जनवरी 2011 को मुबारक को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी थी.
इस आंदोलन में युवा फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब के जरिए एकजुट हुए थे. उस दौरान इंटरनेट सेवाओं को रोक दिया गया था. सोशल मीडिया ने एकजुटता, खबरों का प्रसार और तेज़ी से कार्रवाई में प्रमुख भूमिका निभाई.
हांगकांग प्रोटेस्ट (Hong Kong Protests, 2019–2020)
हांगकांग प्रोटेस्ट को हाल के दशकों में युवाओं का सबसे बड़ा प्रोटेस्ट कहा जाता है. यह आंदोलन Extradition Bill (प्रत्यर्पण विधेयक) और चीन के बढ़ते दखल के खिलाफ किया गया था. असल में साल 2019 में हांगकांग सरकार ने Extradition Bill पेश किया था. इस बिल में हांगकांग में जितने भी संदिग्ध अपराधी थे उन्हें चीन भेजे जाने का प्रावधान था. ये बिल आने के बाद वहां के युवाओं को लगा कि अगर ऐसा हुआ तो चीन सरकार राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों को दबाने के लिए इसका फायदा उठा सकता है.
ट्यूनीशिया की जैसमीन क्रांति (Jasmine Revolution, 2010–2011)
युवा क्रांति में अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया की जैसमीन क्रांति भी जरूर याद की जाती है. यहां के युवाओं ने भी गरीब पर हुए अत्याचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. जैसमीन क्रांति उत्तरी अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया (Tunisia) में हुआ एक बड़ा जन आंदोलन था, जिसने पूरे अरब जगत में "Arab Spring" की नींव रखी था. उस दौरान ट्यूनीशिया में काफी समय से राष्ट्रपति ज़ीन अल आबिदीन बेन अली तानाशाह थे. इन दिनों देश में लोग भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई की मार झेल रहे थे.एक दिन एक युवक मोहम्मद बुआज़ीज़ी को पुलिस ने परेशान किय और फिर उसका सब्जी की दुकान भी छीन ली गई. इस शख्स ने आत्महत्या की और फिर जनता में गुस्सा फूट गया.
बुआज़ीज़ी की आत्मदाह ने देशभर के युवाओं और आम जनता को सड़कों पर उतार दिया. सोशल मीडिया और इंटरनेट के ज़रिए यह विरोध तेज़ी से फैल गया. लोग सरकार विरोधी नारे लगाने लगे और राष्ट्रपति से इस्तीफ़े की मांग करने लगे. राजनीतिक दमन के खिलाफ 2010 में शुरू हुआ एक लोकप्रिय विद्रोह था, जिसने राष्ट्रपति ज़ीन अल-अबिदीन बेन अली को 2011 में पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
ईरान का हिजाब विरोध (Iran Anti-Hijab Protest, 2022)
महिलाओं का हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी भूला नहीं जा सकता है. सितंबर 2022 में हिजाब ना पहनने को लेकर एक महिला को मौत के घाट उतार दिया गया था. इसके बाद वहां की युवा महिलाओं ने इसके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. हिजाब विरोधी प्रदर्शन के दौरान एक खुले बालों को बांधती लड़की की तस्वीर भी वायरल हुई थी. बाद में उसकी भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस दौरान दुनियाभर में सोशल मीडिया पर हिजाब जलाती और बाल काटती महिलाओं की तस्वीरें छाई थीं. कई जगहों पर इन प्रदर्शनों में पुरुष भी शामिल हुए और सरकार के विरोध में इटली के प्रोटेस्ट सॉन्ग बेला चाओ का परशियन वर्जन गाकर विरोध जताया.
यह आंदोलन सिर्फ "हिजाब" तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सरकारी तानाशाही, धार्मिक कट्टरपंथ और महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ एक बड़े विद्रोह में बदल गया. आज भी यह विरोध पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, यह धीरे-धीरे ईरान की राजनीति और समाज को बदल रहा है.
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