राहुल गांधी का 'मिशन गुजरात' रफ्तार क्यों नहीं पकड़ पा रहा है?

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बिहार में वोटर अधिकार यात्रा पूरी करके राहुल गांधी ने वाया उत्तर प्रदेश, गुजरात का रुख किया है. लेकिन, बिहार से शुरू किया स्लोगन वो नहीं भूल पा रहे हैं. दोहराते जा रहे हैं. बार बार. जब भी, जहां कहीं भी मौका मिल रहा है. बोलना नहीं भूलते - ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’.

अब इस नारे में निशाने पर मीडिया भी नजर आता है. बहाना तो मोदी ही हैं. और, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टार्गेट करने के लिए चुनाव आयोग तो पहले से ही बहाना बना हुआ है. वोट-चोरी के इल्जाम को हवा देने के लिए बिहार का चुनावी माहौल उपजाऊ जमीन साबित हुआ है. बिहार में SIR के नाम पर यात्रा निकाली, और पूरे रास्ते महाराष्ट्र और कर्नाटक की केस स्टडी के बारे में बताते रहे. 

राहुल गांधी गुजरात के भी ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं. बीते 7 महीने में 5वीं बार गुजरात पहुंचे. बिहार और रायबरेली के दौरे भी ऐसे ही चल रहे हैं. रायबरेली के रास्ते में भी बीजेपी से वैसा ही टकराव दिखा जैसा, दिल्ली में रहता है. कभी रायबरेली में कांग्रेस के कर्ताधर्ता रहे दिनेश प्रताप सिंह रास्ते में ही धरने पर बैठ गए थे. और, असर बनारस तक नजर आने लगा. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने मोदी के बनारस दौरे में विरोध की बात कही, तो लखनऊ में ही नजरबंद कर दिए गए. 

रायबरेली में दिशा की मीटिंग में तो दिनेश प्रताप सिंह विरोधी नेता की तरह ही कांग्रेस नेता से भिड़े हुए थे, लेकिन उसके बाद की एक अलग ही तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. तस्वीर में बेटे को राहुल गांधी से हाथ मिलाते देख दिनेश प्रताप सिंह मुस्कुरा रहे हैं, और बॉडी लैंग्वेज से लेकर चेहरे तक विनम्रता का भाव आच्छादित है - लोगों के मन में ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ वाला भाव लोगों के मन में भर जाए, यही तो राजनीति है. 

बिहार के बाद गुजरात की बारी 

गुजरात में शहर और जिला अध्यक्षों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगा है. 10 से 19 सितंबर तक. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 10 दिन के ट्रेनिंग कैंप का उद्घाटन कर चुके हैं, और अब राहुल गांधी उनका मार्गदर्शन करने पहुंचे हैं. उद्घाटन के मौके पर मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था, कांग्रेस में ही कहीं कमी रही, जिसकी वजह से आज गुजरात के वे लोग देश पर राज कर रहे हैं, जो देश को कमजोर कर रहे हैं. कांग्रेस में नेतृत्व के स्तर पर कमी की बात राहुल गांधी भी स्वीकार कर चुके हैं. 

राहुल गांधी ने छह महीने पहले, मार्च में संगठन सृजन अभियान की शुरुआत की थी. उसी अभियान के तहत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और मजबूत नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे में अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है. 

संगठन सृजन अभियान शुरू करते वक्त राहुल गांधी ने गुजरात में पार्टी को मजबूत करने को लेकर कई गंभीर बातें की थी. नेतृत्व में कमी की जिम्मेदारी लेने के साथ ही, राहुल गांधी ने तब ही कहा था, गुजरात में कांग्रेस की लीडरशिप में दो तरह के लोग हैं... उनमें बंटवारा है... एक हैं जो जनता के साथ खड़े हैं, जिनके दिल में कांग्रेस की विचारधारा है... दूसरे वे हैं, जो जनता से कटे हुए हैं, दूर बैठते हैं और उनमें से आधे बीजेपी से मिले हुए हैं. तब राहुल गांधी ने रेस के घोड़ों को बारात में बांध दिये जाने का किस्सा भी सुनाया था, जिसे मध्य प्रदेश में भी दोहराया था. 

राहुल गांधी के दिशानिर्देशों पर ही नये सिरे से शहर और जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, और अब राहुल गांधी उनका मार्गदर्शन करने पहुंचे हैं. तब राहुल गांधी, और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ऐसे कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात की थी, जो उनके मुताबिक, ‘बीजेपी से मिले हुए हैं’ - लेकिन, कार्रवाई किस स्तर पर हुई और उसका नतीजा क्या रहा, ये अब तक नहीं बताया गया. बदलाव का फर्क तो आने वाले चुनाव के नतीजे ही बता पाएंगे.

अब तक एक बात जो सामने आई है, वो है संगठन में महिलाओं की भागीदारी पर राहुल गांधी की सलाहियत पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाना. राहुल गांधी ने तब उम्मीद जताई थी कि शहर और जिलाध्यक्षों की नई फेहरिस्त में महिलाओं की अच्छी भागीदारी देखने को मिलेगी, लेकिन जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से पदाधिकारियों की नियुक्ति वाली लिस्ट सामने आई, तो वो बेहद निराश करने वाली थी. 

‘मुझे कम से कम तीन से चार महिला जिला अध्यक्ष बनाए जाने की अपेक्षा थी’ - ये प्रतिक्रिया थी, 64 साल की कांग्रेस नेता सोनल पटेल की. शहर और जिला अध्यक्षों की 40 लोगों की लिस्ट में जगह पाने वाली सोनल पटेल अकेली महिला हैं. लिस्ट सामने आने पर इंडियन एक्सप्रेस से सोनल पटेल का कहना था, ‘8 मार्च को हुए कांग्रेस के कार्यक्रम में मैंने राहुल गांधी से कहा था कि आप लोग सिर्फ बोलते भर हैं.’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ गांधीनगर से चुनाव मैदान में उतर चुकीं, और क्राउड-फंडिंग के जरिये अपना चुनाव कैंपेन चलाने के लिए चर्चित रहीं सोनल पटेल को अहमदाबाद शहर का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है.  

गुजरात में बीजेपी को हराने का वादा किया है

2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद से राहुल गांधी आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. बीच बीच में विपक्ष के साथ छोड़ देने या नेतृत्व पर सवाल उठा देने से निराशा भी होती होगी, लेकिन वोटर अधिकार यात्रा के बाद जोश हाई लग रहा है. लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी ने संसद में ही कहा था कि वो बीजेपी को गुजरात जाकर भी हराएंगे.

ये सही भी हो सकता है, और राहुल गांधी का मानना है कि बीजेपी को अगर देश भर में हराना है, तो शुरुआत गुजरात से ही करनी होगी. और यही वजह है कि वो गुजरात में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने पर पूरा जोर दे रहे हैं. मुश्किल ये है कि राहुल गांधी का जोर देना तो समझ में भी आता है, और नजर भी आता है - लेकिन, नतीजा भी निकल रहा हो, ऐसा अब तक नहीं लगा.

हौसलाअफजाई के लिए राहुल गांधी गुजरात कांग्रेस को तेलंगाना की मिसाल देते हैं. तेलंगाना की मिसाल तो राहुल गांधी यूपी कांग्रेस को भी दे चुके हैं. बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए करीब छह महीने पहले ही राहुल गांधी ने कहा था, अगर गुजरात में हमारा वोट पांच फीसदी बढ़ जाएगा तो आप (बीजेपी) वहीं खत्म हो जाओगे... तेलंगाना में हमने 22 फीसदी वोट बढ़ाया है, यहां तो सिर्फ पांच फीसदी की जरूरत है.

राहुल गांधी ने तभी माना भी था, गुजरात नया विकल्प चाह रहा है... लेकिन, कांग्रेस पार्टी उसे दिशा नहीं दिखा पा रही है... चाहे हमारे जनरल सेक्रेटरी हों, चाहे हमारे पीसीसी अध्यक्ष हों, कांग्रेस जनता को दिशा नहीं दिखा पा रही है. ये सच्चाई है, और ये कहने में मुझे कोई शर्म या डर नहीं है.

बात तो सही है. जनता वोट देने से पहले किसी और नाम पर विचार तो तभी करेगी, जब सामने कोई विकल्प भी हो. कांग्रेस की नई मुश्किल ये है कि पंजाब की तरह अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में भी धावा बोल दिया है. विसावदर उपचुनाव जीत लेने के बाद अरविंद केजरीवाल को गुजरात में भी 2017 वाले पंजाब की तरह संभावना नजर आ रही है. 

पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने पहले कांग्रेस को पछाड़कर आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा विपक्षी दल बना दिया था, और 2022 में सरकार भी बना ली. सरकार बनाने वाली स्थिति अभी भले न हो, लेकिन कांग्रेस की जगह लेने की कोशिश में तो अरविंद केजरीवाल जुट ही गए हैं. 

गुजरात कांग्रेस के नेताओं को अब राहुल गांधी को ये भी सिखाना पड़ेगा कि बीजेपी से मुकाबले के साथ साथ आम आदमी पार्टी को काउंटर कैसे करें? ठीक वैसे ही जैसे 2022 के गुजरात चुनाव में अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को आम आदमी पार्टी को रोकने का मंत्र दिया था - क्योंकि, ये ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ के नारे लगाने भर से हासिल नहीं होने वाला है.

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