जब वजन मापने की बात आती है तो सबसे पहले बॉडी मास इंडेक्स (BMI) का नाम ही जहन में आता है. डॉक्टर और हेल्थ एक्टर्स्ट् लंबे समय से बॉडी मास इंडेक्स तकनीक का इस्तेमाल लोगों में वेट ट्रैक करने और मैनेज के लिए करते आए हैं. BMI से डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि व्यक्ति का शरीर कितना सेहतमंद है. ऐसे लोग जिनका वजन उन्हें भविष्य में खतरे में डाल सकता है, उन्हें बीएमआई के जरिए सही वजन मेंटेन करने की जानकारी दी जाती है.
क्यों BMI से सटीक गणना संभव नहीं?
BMI के साथ समस्या यह है कि BMI शरीर की संरचना की सटीक स्थिति नहीं बता सकता है. यह ऊंचाई और वजन की गणना करके हेल्थ रिस्क्स को मापता है. हालांकि मांसपेशियों और हड्डियों का वजन बॉडी फैट से ज्यादा होता है इसलिए BMI ज्यादा मांसपेशियों वाले शरीर या लंबी-कठ-काठी वाले लोगों में हेल्थ रिस्क्स को बढ़ा-चढ़ाकर बता सकता है.
जबकि वास्तविकता है कि सामान्य बीएमआई वाले लोगों को भी ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट डिसीस हो सकता है.
बॉस्टन के हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार, वहीं, BMI बुजुर्गों और कम मांसपेशी वाले किसी भी व्यक्ति में हेल्थ रिस्क्स को कम करके आंक सकता है. जबकि दुबले-पतले लोगों के भी किसी खास अंग और उसके आसपास में ज्यादा फैट जमा हो सकता है. कहने का मतलब है कि BMI ज्यादा मसल्स वाले इंसान के लिए ज्यादा रिस्क और कम मसल वाले व्यक्ति के लिए कम रिस्क की गणना कर सकता है यानी BMI के जरिए हेल्थ रिस्क की सटीक गणना मुश्किल है.
बीएमआई के साथ क्या दिक्कत है
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) यह तय करता है कि किसी व्यक्ति के शरीर का वजन सही है या नहीं. इसके लिए यह व्यक्ति के वजन को उनकी ऊंचाई के संबंध में मापता है और यह शरीर की सटीक संरचना की जानकारी देने में बहुत मददगार नहीं है.
BIA क्या BMI से बेहतर है
एक नए अध्ययन में वजन मापने की एक अलग तकनीक वैज्ञानिकों ने पेश की है जिसका नाम है बायोइलेक्ट्रिकल इम्पिडेंस एनालिसिस (BIA). यह तकनीक भविष्य की स्वास्थ्य समस्याओं का अनुमान लगाने में बीएमआई की तुलना में अधिक सटीक हो सकती है. आसान भाषा में अगर कहें तो बीएआई यह दिखाता है कि शरीर में कितना फैट है जो आगे चलकर बीमारियों की वजह बन सकता है.
यह ना केवल शरीर में फैट के प्रतिशत को मापने के लिए बल्कि लीन मसल और पानी के वजन को मापने के लिए different electrical conductivity का उपयोग करता है.
कैसे काम करती है BIA
इस टेक्निक का इस्तेमाल करने के लिए आप BIA मशीन की धातु की प्लेटों पर खड़े होते हैं और अपने हाथों या अंगूठे को शरीर से दूर रखे गए किसी अन्य धातु के अटैचमेंट पर रखते हैं. स्टार्ट होते ही मशीन शरीर में एक weak electrical current (काफी माइल्ड और हल्का करंट) भेजती है. खास बात है कि इस दौरान शरीर के फैट, मसल्स और हड्डियों की electrical कंडक्टिविटी की कैलकुलेशन अलग-अलग होती है इसलिए मशीन मसल्स, फैट पर्सेंटेज और पानी के वजन को निर्धारित कर सटीक गणना दे सकती है.
बॉडी फैट ज्यादा खतरनाक
जर्नल एनल्स ऑफ फैमिली मेडिसिन में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक आर्क मेनस III कहते हैं, 'हमने इस रिसर्च में 20 से 49 वर्ष की उम्र के वयस्कों को शामिल किया. इस दौरान हमने पाया कि इन व्यस्कों में अगले 15 साल तक कोई बीमारी होने का रिस्क ओवरऑल बीमेआई की तुलना में बॉडी-फैट प्रतिशत से ज्यादा जुड़ा हुआ है.'
यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा स्कूल ऑफ मेडिसिन में कम्युनिटी हेल्थ और फैमिली मेडिसिन के प्रोफेसर मेनस ने यह भी बताया कि जब दिल के रोग से मृत्यु की बात आती है तो बीआईए के जरिए मापे गए हाई बॉडी फैट वाले लोगों की मृत्यु की संभावना उन लोगों की तुलना में 262% अधिक होती है जिनके शरीर में फैट का हेल्दी पर्सेंटेज होता है.