सरकार का बड़ा खुलासा... 1600 से ज्यादा विलफुल डिफॉल्टर, दबाए बैठे हैं ₹162000Cr

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बैंकों से लोन लिया... कारोबार किया... पैसा भी बनाया, लेकिन चुकाने का मन नहीं है. जी हां ऐसे ही विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) के पास देश के तमाम सरकारी बैंकों के बकाये का आंकड़ा चौंकाने वाला है, जिसका खुलासा सरकार ने किया है. संसद के मानसून सत्र में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) ने राज्यसभा में बताया कि PSU Banks से कर्ज लेकर न लौटाने वाले कॉरपोरेट कर्जदारों की संख्या 1600 के पार है और ये 1.62 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दबाए बैठे हैं.  

1629 कर्जदारों पर 1.62 लाख करोड़ कर्ज
सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया. उन्होंने आंकड़े गिनाते हुए बताया कि 31 मार्च 2025 तक पीएसयू बैंकों ने 1629 कॉर्पोरेट कर्जदारों को ऐसे डिफॉल्टर्स के रूप में पहचाना है, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे हैं. इन विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल मिलाकर 1,62,961 करोड़ रुपये का भारी-भरकम कर्ज है. यह आंकड़ा विदेशी कर्जदारों को छोड़कर बैंकों द्वारा बड़े Loan पर सूचना के केंद्रीय भंडार (CRILC) को सौंपी गई रिपोर्टों के आधार पर जुटाया गया है. 

क्या होते हैं ये विलफुल डिफॉल्टर? 
Wilful Defaulters की ये संख्या और इनके ऊपर कर्ज का आंकड़ा भारतीय बैंकिंग सेक्टर के सामने मौजूद वित्तीय चुनौतियों को दर्शाने वाला है. यहां ये जान लेना जरूरी है कि आखिर ये विलफुल डिफॉल्टर होते कौन हैं? तो बता दें कि ये ऐसे लोग या फिर कंपनियां होती हैं, बैंकों से लिया गया कर्ज (Loan) चुकाने की क्षमता तो रखते हैं, लेकिन फिर भी इसे चुकाने से बचने के लिए खुद को दिवालिया घोषित कर लेते हैं. साफ शब्दों में कहें तो ये ऐसे कर्जदार होते हैं, जिनके पास इसे चुकाने के लिए पर्याप्त रकम तो होती है, लेकिन जानबूझकर ये Loan Payment करने से इनकार कर देते हैं.

सरकार ऐसे कस रही शिकंजा
सरकार ने डिफॉल्टर्स, उनके ऊपर कर्ज का आंकड़ा पेश करने के साथ ही ऐसे कर्जदारों के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों पर भी जोर दिया है. इन पर लिए जाने वाले एक्शन की जानकारी देते हुए बताया गया कि Wilful Defaulters को अतिरिक्त ऋण सुविधाओं मना किया जाता है और इन पर 5 साल के लिए नए बिजनेस शुरू करने पर भी बैन शामिल है. इसके अलावा भविष्य में इस तरह के डिफॉल्ट्स को रोकने के उद्देश्य से इन कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स से जुड़ी कंपनियों को इक्विटी मार्केट में एंट्री से भी प्रतिबंधित किया गया है, जिससे उनकी धन जुटाने की क्षमता घटी है या सीमित हो गई है. 

पंकज चौधरी ने कहा कि बैंक बड़े मामलों में जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही भी शुरू कर सकते हैं और वे इसके लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, सरकार विलफुल डिफॉल्ट पर अंकुश लगाने के प्रयासों को तेज कर रही है, जिनका बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता और फाइनेंशियल हेल्थ पर बड़ा असर पड़ता है.

देश छोड़कर भागे कर्जदारों पर एक्शन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मास्टर दिशा-निर्देशों के तहत Willful Defaulters पर घरेलू स्तर पर शिकंजा कसने के अलावा देश छोड़कर भाग गए बड़े डिफॉल्टरों से भी सरकार निपट रही है. वित्त राज्य मंत्री के मुताबिक, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत 9 ऐसे लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनकी 15,298 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. यह राष्ट्रीय सीमाओं से परे अपराधियों पर शिकंजा कसने के सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.

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