ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी में पूंछ, राजौरी, उरी और कुपवाड़ा के सैकड़ों घर तबाह हो गए. सरकार ने 1000 बंकर बनाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ. मुआवजा भी बाजार दर के मुकाबले बेहद कम है, जिससे लोगों में नाराजगी है.
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बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को बंकर का इंतजार (Photo: ITG)
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की भारी गोलाबारी में जम्मू-कश्मीर के पूंछ, राजौरी, उरी और कुपवाड़ा सेक्टरों के बॉर्डर इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. सैकड़ों घर पूरी तरह तबाह हो गए और लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर पलायन को मजबूर हुए.
अब जब लोग वापस लौट रहे हैं और अपने जीवन को दोबारा शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, तो सरकार की तरफ से दिए जा रहे मुआवजे को वो नाकाफी और असंवेदनशील मान रहे हैं.
सरकार के मुआवजे से नाखुश हैं बॉर्डर इलाके के लोग
एक पूरी तरह तबाह घर के लिए मात्र ₹1.30 लाख और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त संपत्ति के लिए ₹10,000 से भी कम मुआवजा तय किया गया है. स्थानीय लोग इसे अपने दर्द का मजाक बता रहे हैं और बाजार के निर्माण दर के हिसाब से मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं. उरी में अब तक 60 मामलों में मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 40 मामले कुपवाड़ा डीएम के पास लंबित हैं.
बॉर्डर इलाकों में 1000 बंकर बनाने का ऐलान किया था
गोलाबारी के दौरान बंकरों की भारी कमी सामने आई थी, जिसके बाद सरकार ने बॉर्डर इलाकों में 1000 बंकर बनाने का ऐलान किया था. लेकिन आज तक ज़मीन पर इसका कोई काम शुरू नहीं हुआ, जिससे लोगों में रोष है. स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि वादे को जमीन पर उतारा जाए और उनकी सुरक्षा व पुनर्वास की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई जाए.
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