'पैसे लेकर अमिताभ को मारा', जब पुनीत इस्सर पर लगा था आरोप, मुश्किल हुई ज‍िंदगी

1 week ago 1

1988 में आई 'महाभारत' में दुर्योधन का किरदार निभाने वाले पुनीत इस्सर ने अपने करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं. फिल्म 'कुली' में अमिताभ बच्चन के साथ एक सीन करते हुए पुनीत इस्सर से उन्हें सही में मुक्का लग गया था, जिसके बाद शहंशाह घायल हो गए थे. बताया जाता है कि इस वाकये में अमिताभ की जान जाते-जाते बची थी. इस घटना ने पुनीत के करियर को खतरे में डाल दिया था. उनके करियर में ये एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था, जिसके बारे में दशकों से बात हो रही है. एक बार फिर उन्होंने इसे लेकर चर्चा की.

कैसे लगी थी अमिताभ बच्चन को चोट?

सिद्धार्थ कन्नन संग बातचीत के दौरान पुनीत इस्सर ने उन काले दिनों को याद करते हुए कहा, 'ये बस एक एक्सीडेंट था. आप मानोगे नहीं कि वो जो फिल्म मुझे मिली थी... यश जौहर सर मेरे फादर साहब के दोस्त थे. यश जौहर, मनमोहन देसाई को अच्छे से जानते थे. मनमोहन जी कुछ मार्शियल आर्ट्स की वॉयस चाहते थे. तो यश जी घर आते थे और वो मुझे देखते थे. तब मैं 7-7 घंटे मार्शियल आर्ट्स करता था. उन्हें पता था कि सुदेश जी का लड़का जो है वो मार्शियल आर्ट्स करता है. तो यश जी ने मनमोहन जी से कहा कि एक लड़का है पुनीत इस्सर, वो मार्शियल आर्ट्स करता है, आपको जो चाहिए वो करके दे देगा. यश जी मुझे मनमोहन जी के घर लेकर गए थे. केतन (देसाई) भी वहां थे. उन्होंने मुझसे पूछा क्या-क्या कर सकते हो, मैंने कहा ये कर सकता हूं. उन्होंने कहा- करके दिखाओ. मैंने करके दिखाया, आवाज निकालकर और बाकी सब. उन्होंने कहा- कमाल है. ऐसे ही मैंने नसीब फिल्म में डबिंग की थी उनके लिए. मनमोहन जी ने मुझसे पूछा था- काम करेगा? मैंने कहा था कि सर मैं तो काम चाहता हूं. उन्होंने कहा कि डन, मैं तुमको कुली में लेगा. और पहला दिन, पहला शॉट मिस्टर बच्चन के साथ और फिर वो हो गया.'

हादसे के बारे में बात करते हुए पुनीत इस्सर ने कहा, 'हम एक एक्शन सीन कर रहे थे, जिसमें हमें एक दूसरे को मुक्के मरने थे. एक कैमरा एंगल था जहां मुझे उन्हें उठाकर एक बोर्ड में देकर मारना था और फिर उन्हें उठाकर टेबल पर फेंकना था. हमने रिहर्सल की तो प्रोफाइल एंगल जो था, उसमें पीटर प्रेरा सर ने कहा कि पुनीत ये जो मार रहा है उसमें लग रहा है कि वो नहीं मार रहा है. तो अमित जी ने कहा कि पुनीत तुम इसको टच करो जरूर, मैं तो बच ही जाऊंगा. तो क्या हुआ कि मैंने जब उनको बोर्ड में मारा तो वो उसे हिट करके आगे आए. टाइमिंग कुछ गड़बड़ हो गई, वो 6 इंच आगे आ गए. मेरा हाथ जो था लग गया उनको. ये बस एक एक्सीडेंट था. उसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है.'

अमिताभ ने पुनीत को सुनाया था किस्सा

एक्टर ने आगे कहा, 'डॉक्टरों ने लापरवाही की, वो समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ है. उन्हें समझ ही नहीं आया कि इंटेस्टाइन रप्चर हुआ है. तब तक हालत और खराब हो गई थी उन्हें पस पड़ गया था. लेकिन मिस्टर बच्चन की महानता है कि... पेपर्स में बहुत कुछ आ गया था और मैं परेशान था कि क्या है यार ये. 1981 की बात है ये. मैं सोचता था कि क्या होगा, क्या नहीं होगा. उन्हें पता था तो मिस्टर बच्चन ने मुझे कॉल किया कि मुझे पुनीत से मिलना है. मैं गया उनसे मिलने. मैंने उन्हें उस हाल में देखा और मेरी आंखों में आंसू आ गए कि मेरी वजह से ये हुआ है. उन्होंने मुझसे कहा कि पुनीत ये तुम्हारी गलती नहीं है. जब हम एक्शन करते हैं तो हो जाता है. उस अवस्था में उन्होंने मुझे एक किस्सा सुनाया कि मैं और विनोद खन्ना एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. वो खून पसीना थी या हेरा फेरी मुझे याद नहीं. अमित जी बोले कि मैंने एक ग्लास मारना था विनोद खन्ना के मुंह पर. हमने 10 रिहर्सल की, ठीक हुआ. टेक में पता नहीं क्या गड़बड़ हुआ, ग्लास जाकर विनोद खन्ना की ठोड़ी पर लगा और उनका वो हिस्सा पूरा फट गया था. उन्हें 7-8 टांके आए हैं. तब मुझे भी वैसा ही लगा था जैसा अभी आपको लग रहा है. तो प्लीज रीलैक्स करो. तो उस हालत में वो (अमिताभ) उठे, उन्होंने मेरी गले में हाथ डाला और ब्रीच कैंडी (अस्पताल) के उस एरिया में जहां प्रेस वाले बैठते थे, वो जान बूझकर मुझे वहां छोड़ने आए. ताकि कहीं लोगों को ये न लगे कि मेरे मन में पुनीत के लिए कुछ घृणा भाव है या कुछ है. यही बच्चन साहब की महानता थी.'

पुनीत ने मारने के लिए थे पैसे?

उन दिनों न्यूज थी कि इस हादसे के बाद अमिताभ बच्चन मार भी जाते. अमिताभ को उन दिनों दर्शकों भगवान मानते थे. लोगों ने पुनीत इस्सर को मर्डरर नाम दे दिया था. पुनीत ने बताया, 'किसी ने तो कहा था कि इसने तो पैसे लेकर मारा है. विपक्ष के किसी स्टार ने पैसे दे दिए हैं. पेपर में तो लोग कुछ भी छाप देते थे न. एक ने तो लिख दिया था कि पुनीत इस्सर ने दावा किया है कि वो एक चलती ट्रेन से ज्यादा तेज भाग सकते हैं. कुछ भी, लंबी-लंबी (फेंकनी शुरू कर दी थी). लोगों के घर पर फोन कॉल भी आते थे कि हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे. मार डालेंगे. ये सब मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन मेरे साथ मेरा परिवार था. मेरे पेरेंट्स, मेरी वाइफ मेरे साथ खड़े थे. भई मैंने कुछ जान बूझकर तो नहीं किया था. हादसा था, हो गया, अब आगे बढ़ो यार.'

Read Entire Article