अमेरिका से टैरिफ को लेकर तल्ख रिश्तों के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, साथ ही कहा कि यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर गुजरता है. लेकिन अब अपने ही देश में नवारो को आलोचनाओं को सामना करना पड़ रहा है.
खतरे में अमेरिका-भारत संबंध
एशिया विशेषज्ञ और दो अमेरिकी विदेश मंत्रियों के पूर्व सलाहकार इवान ए. फेगेनबाम ने भारत के खिलाफ पीटर नवारो की तीखी बयानबाजी की सख्त आलोचना की है. उन्होंने व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो को 'एक बेलगाम तोप' बताया है, जिनके बयानों से अमेरिका-भारत संबंधों में दशकों से चली आ रही प्रगति पर पानी फिरने का खतरा मंडरा रहा है.
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नवारो के इस बयान के बाद कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार हैं, फ़ीगेनबाम ने एक पोस्ट में कहा, 'इन लोगों ने अमेरिका-भारत संबंधों को फलदायी बनाने के लिए 25 साल की कड़ी और द्विपक्षीय मेहनत को बर्बाद कर दिया है.' उन्होंने आगे कहा, 'यूक्रेन में शांति का रास्ता निश्चित रूप से नई दिल्ली से होकर नहीं जाता, और ऐसा कहना बिल्कुल बेतुका है.'
भारत को बताया था फंडिंग सेंटर
ट्रंप प्रशासन में वरिष्ठ व्यापार सलाहकार, नवारो ने भारत के खिलाफ नए सिरे से आक्रामक रुख अपनाया है और रूस से तेल खरीद को यूक्रेन में चल रहे युद्ध से जोड़ा है. एक इंटरव्यू और कई सोशल मीडिया पोस्ट सहित सार्वजनिक बयानों में, नवारो ने भारत पर क्रेमलिन के लिए खुद को 'तेल के फंडिंग सेंटर' में बदलने का आरोप लगाया और दावा किया कि भारतीय रिफाइनर कालाबाजारी वाले तेल से मुनाफा कमा रहे हैं जबकि यूक्रेनी मर रहे हैं.'
नवारो ने ट्रंप प्रशासन की ओर से भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने का बचाव किया, जिसमें 25 प्रतिशत टैरिफ गलत ट्रेड प्रैक्टिस के लिए और 25 प्रतिशत टैरिफ रूस के साथ भारत के डिफेंस और एनर्जी डील से जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के लिए लगाया गया.
नवारो के मुताबिक, रूसी तेल आयात में भारत की हिस्सेदारी 2022 से पहले के एक प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत से ज़्यादा यानी 15 लाख बैरल प्रतिदिन से ज़्यादा हो गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय रिफाइनरियां हर दिन 10 लाख बैरल से ज़्यादा रिफाइंड उत्पादों का निर्यात कर रही हैं, जिससे होने वाला मुनाफ़ा रूस के भंडार को बढ़ा रहा है. उन्होंने लिखा, 'भारत अब प्रतिदिन 10 लाख बैरल से ज़्यादा रिफाइंड पेट्रोलियम का निर्यात करता है, जो उसकी तरफ से आयातित रूसी कच्चे तेल की मात्रा के आधे से भी ज़्यादा है.'
'इतिहास से परे नवारो का बयान'
फ़ीगेनबाम ने नवारो के दावों के लहजे और अर्थ, दोनों को खारिज करते हुए उन्हें इतिहास से अलग बताया. उन्होंने भारत को हथियारों का 'रणनीतिक मुफ़्तखोर' कहने की आलोचना की और इसे गैरजरूरी और भ्रामक बताया. फ़ीगेनबाम ने कहा, 'आजकल भारत के बारे में नीति बनाने वालों के लिए इतिहास, संदर्भ और राजनीति ज़्यादा मायने नहीं रखती. यह सब या तो असंगठित और अनधिकृत है, जो काफ़ी चिंताजनक है, या फिर अधिकृत है, जो इसे नीति बना देगा.'
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उन्होंने आगे चेतावनी दी कि यह रिश्ते 'ज्यादा से ज्यादा स्थगित हो सकते हैं, लेकिन अगर कोई इसे जल्द से खत्म नहीं करता है तो यह संभावित रूप से बिखर सकते हैं, और कहा कि साझेदारी को 'ज्यादा उत्पादक रास्ते पर वापस लाने के लिए प्रशासन में बदलाव करना पड़ सकता है.'
भारत ने अमेरिकी टैरिफ को गलत बताया है और कहा है कि उसके तेल खरीद से जुड़े फैसले आर्थिक जरूरतों की बुनियाद पर खड़े हुए हैं. भारत लगातार इस बात पर ज़ोर देता रहा है कि चीन या यूरोपीय संघ पर अमेरिका की तरफ से समान टैरिफ नहीं लगाए जा रहे हैं, जबकि दोनों देशों के रूस के साथ व्यापक ऊर्जा और व्यापारिक संबंध हैं.
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