तिआनजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. यह बैठक एससीओ समिट से पहले हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक बातचीत की. बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि कजान में हुई पिछली वार्ता से भारत-चीन रिश्तों को नई दिशा मिली है और अब सहयोग लगातार बढ़ रहा है. शी जिनपिंग ने कहा कि ‘ड्रैगन और हाथी का साथ आना बेहद जरूरी है’.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक करीब 1 घंटे चली. (Photo: ITG)
तिआनजिन स्थित गेस्ट हाउस में रविवार दोपहर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई. मोदी यहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल होने पहुंचे हैं. इस बैठक को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी किया है.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पिछले साल कजान में हुई बैठक ने भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से शुरू किया और तब से द्विपक्षीय सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है. उन्होंने कहा कि चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं, जिनकी जिम्मेदारी है कि वे अपने लोगों का भला करें, विकासशील देशों की एकता को मजबूत करें और मानव समाज की प्रगति में योगदान दें.
'रिश्तों पर हावी न हो सीमा विवाद'
बयान के अनुसार, शी जिनपिंग ने 75 साल पूरे होने पर कहा कि दोनों देशों को रिश्तों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए. उन्होंने चार अहम बिंदु रखे-
-रणनीतिक संवाद बढ़ाकर आपसी विश्वास गहरा करना,
-सहयोग और आदान-प्रदान बढ़ाकर ‘विन-विन’ नतीजे हासिल करना,
-एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को आगे बढ़ाना और सीमा विवाद को पूरे रिश्तों पर हावी न होने देना
-बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत कर एशिया और दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करना.
'ड्रैगन और हाथी का साथ आना बहुत जरूरी'
चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया, जिनपिंग ने कहा कि 'ड्रैगन और हाथी का साथ आना' दोनों देशों के लिए सही विकल्प है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कजान में हुई पिछली मुलाकात ने भारत-चीन रिश्तों की दिशा तय की थी और अब संबंध सकारात्मक रास्ते पर लौट आए हैं. उन्होंने बताया कि सीमा शांतिपूर्ण और स्थिर है और जल्द ही सीधी उड़ानें फिर से शुरू होंगी.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार हैं और दोनों देशों में सहमति असहमति से कहीं अधिक है. प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि भारत और चीन मिलकर एशियाई सदी को मजबूत करेंगे और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अहम योगदान देंगे.
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