श्रावण मास की शिवरात्रि पर संभल जिले के खग्गू सराय क्षेत्र में स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर में 46 साल बाद पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया गया. मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित इस मंदिर में पहली बार स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं ने एक साथ पहुंचकर विधिवत जलाभिषेक किया. इस मौके पर एसडीएम विकास चंद्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. धार्मिक आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने मंदिर क्षेत्र और जामा मस्जिद के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे.
46 साल बाद जब गूंजे थे शंख और घंटियों की आवाज
दरअसल, 14 दिसंबर को 46 साल बाद संभल के नखासा थाना इलाके के खग्गू सराय इलाके में मुस्लिम आबादी वाले कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खोला गया था. मंदिर उस मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है जहां बवाल हुआ था. 2024 में प्रशासनिक प्रयासों के बाद जब इस मंदिर के कपाट एक बार फिर खुले थे. इस बार यह मंदिर सावन की शिवरात्रि में ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बन गई. सुबह से ही मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की कतारें दिखने लगीं. स्थानीय एसडीएम विकास चंद्र, अपने सहयोगियों के साथ पहुंचे और स्वयं जलाभिषेक कर पूजा का शुभारंभ किया. उनके साथ आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं, कांवड़ियों और स्थानीय निवासियों ने भी भोलेनाथ के जयकारों के साथ जल चढ़ाया.
लौटी एक ऐतिहासिक पहचान
एसडीएम विकास चंद्र ने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि संभल की खोई हुई पहचान को वापस दिलाने की प्रक्रिया है. जब 46 वर्षों से बंद पड़े इस मंदिर के कपाट खुले थे, तब यह मात्र धार्मिक निर्णय नहीं था, यह समाज को जोड़ने और विरासत को सहेजने का प्रयास था. आज, महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में जलाभिषेक कर हम एक ऐतिहासिक विरासत से पुनः जुड़ रहे हैं.
सुरक्षा रही चाक-चौबंद
मंदिर जिस मोहल्ले में स्थित है, वहां शांति व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण था. लेकिन संभल पुलिस और प्रशासन की तैयारी कड़ी रही. पूरे मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में पुलिस बल और मजिस्ट्रेट ड्यूटी तैनात की गई थी. संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए रैपिड रिएक्शन फोर्स (RRF) को भी सक्रिय रखा गया. वहीं, जामा मस्जिद क्षेत्र की सुरक्षा को भी उसी सावधानी के साथ मजबूत किया गया. सदर कोतवाली प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत ने लगातार मस्जिद क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की. मुख्य द्वार के सामने बैरिकेडिंग की गई और RRF के जवानों को तैनात किया गया, ताकि कोई असामाजिक तत्व वहां माहौल बिगाड़ने की कोशिश न कर सके. सुरक्षा के इन बंदोबस्तों ने यह सुनिश्चित किया कि श्रद्धालुओं की आस्था और शांति दोनों सुरक्षित रहें.
कार्तिकेय महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह मराठा काल में निर्मित हुआ था और यहां कार्तिकेय, जो शिव के पुत्र हैं, की विशेष पूजा होती थी. यह स्थान एक समय संभल का धार्मिक केंद्र हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे सामाजिक और भौगोलिक कारणों से मंदिर उपेक्षित होता गया. हाल ही में जब मंदिर के द्वार खोले गए तो वहां के मूल शिवलिंग, प्राचीन दीवारें, और स्थापत्य वैसी ही स्थिति में मिले जैसे अभी की हो.
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