देश में पायलट प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने नई रैंकिंग प्रणाली शुरू करने का ऐलान किया है. ये रैंकिंग सिस्टम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा और DGCA की ओर से साल में दो बार यानी 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को प्रकाशित प्रकाशित की जाएगी. DGCA के अनुसार इस पहल का उद्देश्य भारत में पायलट प्रशिक्षण में गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता को सुधारना है. साथ ही प्रदर्शन-आधारित और ट्रांसपेरेंट ट्रेनिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है.
चार श्रेणियों में होगी रैंकिंग
DGCA के नोटिफिकेशन के मुताबिक नोडल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित सभी फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTOs) को चार श्रेणियों- A++, A+, A और B के अंतर्गत रैंकिंग दी जाएगी. जिन संस्थानों को B कैटेगरी में रखा जाएगा, उन्हें DGCA की ओर से नोटिस जारी कर आत्म-मूल्यांकन और प्रदर्शन में सुधार करने के लिए कहा जाएगा. रैंकिंग सिस्टम 4 कारणों की वजह से शुरू किया गया है.
1. प्रशिक्षण की गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित करना
यह प्रणाली एक समान और वस्तुनिष्ठ मापदंडों के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन करेगी, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में समानता लाई जा सके.
2. पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना
रैंकिंग सिस्टम पारदर्शिता को बढ़ावा देता है. साथ ही नियामक संस्थाओं, स्टूडेंट्स और हितधारकों को सटीक फैसले लेने में सक्षम बनाएगा. यह संस्थानों को भी जवाबदेह बनाएगा.
3. छात्र पायलटों को सही मार्गदर्शन देना
महत्वाकांक्षी पायलट अक्सर विश्वसनीय FTO की पहचान करने में कठिनाई का सामना करते हैं, इसलिए रैंकिंग प्रणाली एक विश्वसनीय मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी, जिससे वे स्थान या फीस के बजाय गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रशिक्षण परिणामों के आधार पर संस्थानों का चयन कर सकेंगे.
4. नीति निर्माण और नियामक निगरानी में मदद
DGCA की अधिसूचना में कहा गया है उच्च प्रदर्शन करने वाले FTOs को विस्तार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि कमजोर संस्थानों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी. DGCA का मानना है कि रैंकिंग सिस्टम पायलट प्रशिक्षण में उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देगा. यह सुरक्षा मानकों में भी सुधार करेगा, निरंतर सुधार को सक्षम करेगा और सर्वोत्तम प्रशिक्षण प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
परफॉर्मेंस ऑडिट होगा अनिवार्य
नई व्यवस्था के तहत सभी FTOs को तय समयसीमा के भीतर अपना प्रदर्शन डेटा (performance audit) जमा करना होगा. DGCA इस डेटा की ऑडिट या निरीक्षण के जरिए सत्यता जांच सकती है. गलत जानकारी या नियमों का उल्लंघन करने पर संस्थान की रैंकिंग घट सकती है और उस पर कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है. DGCA ने कहा कि यह रैंकिंग प्रणाली छात्रों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण और प्रशिक्षित पायलटों की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित करेगी, जो भारत के विमानन क्षेत्र के सुरक्षित और सतत विकास के लिए जरूरी है.
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