अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश है, वहां का शेयर बाजार (Share Market) भी दुनिया में सबसे बड़ा है. अमेरिकी शेयर बाजार का मार्केट कैप करीब $53 ट्रिलियन का है, जबकि भारतीय शेयर बाजार का आकार करीब $5 ट्रिलियन का है, यानी भारतीय शेयर बाजार के मुकाबले अमेरिकी शेयर बाजार 10 गुना बड़ा है. इसलिए वहां रिटर्न का स्कोप भी ज्यादा है. साथ ही दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजारों में लिस्टेड हैं.
ब्लॉकबस्टर शेयरों में कर सकते हैं निवेश
ऐसे में अमेरिकी शेयर बाजारों में निवेश करना भारतीय निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है. आप घर बैठे Google, Amazon, Tesla, nvidia, Meta और डॉमिनोज जैसे कई ब्लॉकबस्टर शेयरों में निवेश कर सकते हैं. इन कंपनियों का कारोबार दुनियाभर में है, और पिछले कुछ दशकों में इन कंपनियों ने अपने निवेशकों को मोटा पैसा बनाकर दिया है. आज हम आपको बताएंगे कैसे आप इन कंपनियों में निवेश कर सकते हैं.
विदेशी मार्केट में निवेश के डबल फायदे
दरअसल, जिस तरह आप भारत में रहते हुए भारतीय शेयर बाजार में, म्यूचुअल फंड और ETF में निवेश करते हैं, ठीक उसी तरह से आप अमेरिकी बाजार में निवेश कर सकते हैं. अमेरिकी समेत कई विदेशी मार्केट में पैसे लगाने से मुख्यतौर पर दो फायदे हैं. एक तो जैसे-जैसे कंपनियों का कारोबार बढ़ेगा, निवेशकों का उसी हिसाब से रिटर्न बढ़ता जाएगा. जबकि दूसरा बड़ा फायदा यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण रिटर्न और भी ज्यादा हो जाता है. पिछले कुछ वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हुआ है. फिलहाल एक डॉलर 86 रुपये के बराबर है. वहीं 2004 में एक डॉलर का भाव महज 46 रुपये था.
ग्लोबल मार्केट में निवेश करने से जहां आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं. इससे निवेश को लेकर रिस्क भी कम हो जाता है. भारतीयों को विदेशी शेयरों में सीधे निवेश करने की अनुमति मिले करीब 21 साल बीत चुके हैं. लेकिन अभी भी लोग जानकारी के अभाव में विदेशी शेयर बाजारों में पैसे नहीं लगा पाते हैं. हालांकि शेयर बाजार अमेरिका का हो, या भारत का. रिस्क दोनों जगहों पर हैं. इसलिए शेयर बाजार में उतना ही निवेश करें, जितना आप खोने के लिए तैयार हों. साथ ही शेयर बाजार में निवेश के लिए जरूरी जानकारी होनी चाहिए.
कैसे करें अमेरिकी बाजार में निवेश?
आज के दौर में भारतीय निवेशक अमेरिकी शेयर बाजार में सीधे निवेश करने के लिए कई ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं. जिसमें Groww, INDmoney, Vested Finance और Interactive Brokers शामिल हैं. ये प्लेटफॉर्म भारतीय निवेशकों को आसानी से अमेरिकी स्टॉक और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में निवेश करने की सुविधा देते हैं.
डीमैट और ट्रेडिंग खाते जरूरी
अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने के लिए एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. ब्रोकरेज फर्म Zerodha (Groww के माध्यम से) या ICICI Direct, विदेशों में निवेश के लिए विकल्प देते हैं. कुछ अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर जैसे Charles Schwab या TD Ameritrade भी भारतीय निवेशकों के लिए उपलब्ध हैं. खाता खोलने के लिए आपको पैन कार्ड, आधार और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज की जरूरत होगी.
अमेरिकी शेयर बाजार में आप अलग-अलग विकल्पों में निवेश कर सकते हैं:
आप टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट या गूगल जैसे स्टॉक्स में सीधे निवेश कर सकते हैं. आज के दौर में ETF भी लोकप्रिय है. इसलिए S&P 500 या नैस्डैक जैसे इंडेक्स फंड्स में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा भारत में कई म्यूचुअल फंड्स हैं, जो अमेरिकी बाजार में निवेश करते हैं.
फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग की सुविधा
अमेरिकी कंपनियों के शेयर की कीमतें बहुत ज्यादा हैं, ऐसे में अगर आपका बजट कम है, तो फिर कई प्लेटफॉर्म फ्रैक्शनल शेयर खरीदने की सुविधा देते हैं, जिससे आप कम राशि में भी महंगे स्टॉक्स खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए फिलहाल गूगल के शेयर की कीमत करीब 190 डॉलर है, लेकिन फ्रैक्शनल के जरिये आप इस शेयर में 1 डॉलर भी लगा सकते हैं. यानी आप विदेशी बाजारों महज एक डॉलर से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. आप फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग एक ऐसा तरीका है, जिससे यह काम आसानी से हो सकता है.
बता दें, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत कोई भी भारतीय प्रति वित्तीय वर्ष $250,000 तक विदेश में निवेश कर सकते हैं. इस राशि का उपयोग अमेरिकी शेयर बाजार में भी निवेश के लिए किया जा सकता है. अपने बैंक के साथ LRS फॉर्म (A2) भरें और विदेशी मुद्रा में राशि ट्रांसफर करें. आपको अपने बैंक को यह बताना होगा कि यह राशि विदेशी निवेश के लिए है.
कमाई पर टैक्स
अमेरिकी शेयरों से होने वाली आय पर भारत में कैपिटल गेन्स टैक्स लागू होता है. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (1 साल से अधिक) पर 20% टैक्स (इंडेक्सेशन के साथ) और शॉर्ट-टर्म पर 15% टैक्स लगता है. इसके अलावा, डिविडेंड पर अमेरिका में 25% टैक्स कटता है, जिसके लिए आप भारत में डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस अग्रीमेंट (DTAA) के तहत क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं.
(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)
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