उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में जिस धर्मांतरण सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ, उसको लेकर कई खुलासे हो रहे हैं. यहां चांद मियां की एक मजार है, जहां पर बैठकर आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा कभी अंगूठियां बेचा करता था. इस मजार पर इस समय रंगाई-पुताई का काम चल रहा है. छांगुर बाबा यहां चंदा देता था और इसका निर्माण भी करवा रहा था. सवाल है कि कभी अंगूठी बेचने वाला छांगुर बाबा कुछ ही सालों में अकूत संपत्ति का मालिक कैसे बन गया?
आज बलरामपुर जिले में बनी जिस आलीशान कोठी पर बुलडोजर गरज रहा है, उसका मालिक छांगुर बाबा कभी गलियों में अंगूठियां बेचता था. शुरुआती दिनों में छांगुर बाबा हिंदू ग्राहकों को मूंगा, गोमेद और लहसुनिया जैसे नग बेचा करता था, तो वहीं मुस्लिम समुदाय के बीच अकीक के पत्थर बेचता था. उसका ठिकाना चांद मियां की मजार थी, जहां वह घंटों बैठा करता, लोगों से जुड़ता और धीरे-धीरे अपनी पहचान मजबूत करता.
इस मजार पर आज भी रंगाई-पुताई और सौंदर्यीकरण का काम जारी है. छांगुर बाबा इस मजार के लिए मोटा चंदा देता था और इसके निर्माण में भी खुद आगे आया था. सूत्रों के मुताबिक, वह मजार कमेटी से भी जुड़ा हुआ था और यहीं से उसने धर्मांतरण की चालें चलनी शुरू की थीं.
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छांगुर बाबा का असली नाम जमालुद्दीन था, जो बलरामपुर के उतरौला इलाके की गलियों में घूम-घूमकर अंगूठी बेचा करता था, लेकिन कुछ साल पहले वह अचानक गायब हो गया. जब लौटा तो छांगुर बाबा बन गया था. छांगुर बाबा बनकर उसने पैसे और रसूख दोनों हासिल कर लिए. वह गैर मुस्लिम लड़कियों को पैसों का लालच देकर ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण कराता. उसके निशाने पर खासकर कमजोर, गरीब और परेशान लड़कियां और महिलाएं रहती थीं.
पैसों की ताकत से बाबा ने तीन बीघे में आलीशान कोठी खड़ी करवा दी, जिसमें 50 से ज्यादा परिवारों के रहने का इंतजाम था. उस कोठी की सुरक्षा किसी वीआईपी किले जैसी थी- सीसीटीवी कैमरे, करंट दौड़ते तार और खतरनाक कुत्ते. इस कोठी को तैयार करने में ऐसे मोटे सरियों और कॉन्क्रीट का इस्तेमाल किया गया, जो आमतौर पर पुल बनाने में किया जाता है.
फिलहाल छांगुर बाबा लखनऊ की जेल में है. बीते दिनों उसे यूपी एटीएस द्वारा अरेस्ट किया गया था. उसके धर्मांतरण नेटवर्क की जांच जारी है, लेकिन बलरामपुर के लोगों के लिए आज भी सबसे बड़ा सवाल यही है- एक मजार से उठकर छांगुर बाबा ने धर्मांतरण की इतनी बड़ी साजिश कैसे रच डाली?
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