महाराष्ट्र के विपक्षी खेमे में राजनीतिक पुनर्गठन की अटकलों के बीच राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गुरुवार को साफ कर दिया कि शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के बीच अभी तक कोई औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है, लेकिन जनता का दबाव है कि ठाकरे ब्रदर्स को आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव साथ मिलकर लड़ना चाहिए.
साथ लड़ने के लिए जनता का दबाव
राउत ने कहा, 'मैंने यह नहीं कहा कि शिवसेना और एमएनएस स्थानीय निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ रहे हैं. मैंने कहा कि जनता की ओर से दबाव और मांग है कि दोनों पार्टियों को साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए. लोगों का मानना है कि अगर 'मराठी मानुस' के अधिकारों की रक्षा करनी है, तो उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को साथ आना होगा.'
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संजय राउत ने कहा, 'राज ठाकरे के काम करने का स्टाइल अलग है. हम खुलकर बोलते हैं, वह नहीं. लेकिन आने वाले दिनों में आप देखेंगे कि क्या होता है.' राज्यसभा सांसद ने आगे बताया कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और INDIA ब्लॉक का गठन राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के लिए हुआ था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव बिल्कुल अलग हैं.'
ठाकरे ब्रदर्स ने साझा किया मंच
उन्होंने कहा, 'INDIA गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए बना था और एमवीए विधानसभा चुनावों के लिए बना था. स्थानीय निकाय चुनावों के लिए इन दोनों की ज़रूरत नहीं है, इन चुनावों में स्थानीय मुद्दे ही हावी रहते हैं.'
संजय राउत का यह बयान उद्धव और राज ठाकरे की मुंबई में आयोजित साझा रैली के कुछ दिनों बाद आया है, जो करीब दो दशकों के बाद मंच पर एकसाथ दिखाई दिए थे. यह रैली महाराष्ट्र सरकार की ओर से दो विवादित सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए आयोजित की गई थी, जिनमें मराठी मीडियम के प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव था, जिसका दोनों दलों ने कड़ा विरोध किया था.
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कार्यक्रम के दौरान, उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई के साथ नज़दीकी संबंधों का संकेत दिया. उन्होंने कहा, 'हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे.' इससे मुंबई नगर निगम चुनावों में साथ मिलकर लड़ने की अटकलों को मजबूती मिली है.
कांग्रेस हाईकमांड लेगी फैसला
ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने की अटकलों पर शिवसेना यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि दोनों भाई अब एक मंच पर आए हैं, लोग चाहते है कि दोनों भाई साथ काम करें. उन्होंने कहा कि INDIA अलायंस में कोई मतभेद नहीं हैं और हमारी लड़ाई तो मराठी अस्मिता को बचाने की है.
INDIA अलायंस में दरार के सवाल पर कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने कहा कि लोकल बॉडी इलेक्शन हमेशा स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को भरोसे में लेकर लड़े जाते है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी एनडीए भी शायद एकसाथ चुनाव नहीं लड़ेगा, उनके नेताओं के भी अलग-अलग बयान आए हैं. लोकल बॉडी चुनाव के आधार पर ऐसा नहीं कह सकते कि हमारा गठबंधन टूट गया, निकाय चुनाव के बारे में पार्टी हाईकमांड आखिरी फैसला लेगी.
महाविकास अघाड़ी का इतिहास
महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल हैं. इसका गठन नवंबर 2019 में हुआ था, जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता-साझेदारी को लेकर हुए विवाद के बाद, तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपनी पुरानी सहयोगी बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए एमवीए का गठन किया गया और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया.
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यह गठबंधन जून 2022 तक चला, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला एक गुट शिवसेना से अलग हो गया और आखिर में बीजेपी के साथ गठबंधन करके एक नई सरकार बना ली, जिससे पार्टी टूट गई. उद्धव ठाकरे का गुट अब शिवसेना (यूबीटी) के रूप में काम करता है, जबकि शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर शिवसेना के रूप में मान्यता दी है.
बीएमसी चुनाव क्यों हैं अहम
बीएमसी के चुनाव, जो इस साल के आखिर तक या अगले साल की शुरुआत में होने की संभावना है, ठाकरे परिवार के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई माने जा रहे हैं. बीएमसी देश का सबसे अमीर नगर निकाय है, और शिवसेना ने दो दशकों से भी ज़्यादा समय तक इस पर शासन किया, लेकिन पार्टी टूटने और मुंबई में बीजेपी के उदय के बाद इसकी पकड़ कमज़ोर हो गई.
हालांकि, स्थानीय निकाय चुनाव पिछले पांच साल से कानूनी अड़चनों के जाल में फंसे हुए हैं. इनमें प्रमुख हैं ओबीसी आरक्षण पर विवाद, राज्य सरकार की ओर से राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) से वार्ड परिसीमन का अधिकार छीनने की कोशिश और पिछली एमवीए सरकार की ओर से वार्डों की कुल संख्या बढ़ाने का फैसला विवाद की वजह बना हुआ है.
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