सुनहरे आगाज की भावुक कहानी... जब पिच पर 'चुपके' से लगी डांट से पैदा हुआ भारत का 'लिटिल मास्टर'

18 hours ago 1

1971 का साल... भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वह स्वर्णाक्षरों में लिखा गया पन्ना है, जब भारत ने पहली बार वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीम को उसकी ही धरती पर न सिर्फ हराया, बल्कि पहली बार कैरेबियाई धरती पर सीरीज भी अपने नाम की. लेकिन इस जीत से कहीं ज्यादा खास थी उस सीरीज में एक नए सितारे की चमक... मुंबई से आए एक युवा खिलाड़ी की दस्तक, जिसने पहली ही बार में कुछ ऐसा कर दिखाया जो इतिहास में अमिट छाप छोड़ गया.

जी हां ! बात हो रही है  दुनिया के सर्वकालिक महान सलामी बल्लेबाजों में शुमार 'लिटिल मास्टर' सुनील गावस्कर की. आज (10 जुलाई) उनका जन्मदिन है, वह 76 साल के हो गए. जब गावस्कर ने डेब्यू सीरीज (1971 में विंडीज दौरा) खेली, तो वो सिर्फ 21 साल के थे.  टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के साथ ही वेस्टइंडीज के खिलाफ उनके साहसिक प्रदर्शन के पीछे एक दिल को छू लेने वाला किस्सा छुपा है  और वो भी विरोधी टीम के एक दिग्गज खिलाड़ी से जुड़ा हुआ है.

gavaskar-sunil1971 में सुनील गावस्कर. (File, Getty)

हां, यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन गावस्कर ने खुद एक शो में खुलासा किया था कि जब वह अपनी पहली ही सीरीज में संघर्ष कर रहे थे, तब वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ने चुपचाप उनका हौसला बढ़ाया था. वो कोई और नहीं- रोहन कन्हाई थे, जिनके नाम पर गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन रखा. 1976 में पैदा हुए रोहन गावस्कर 11 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

सुनील गावस्कर ने हमेशा माना कि वह रोहन कन्हाई की बल्लेबाजी के बड़े प्रशंसक थे. लेकिन सिर्फ उनकी बल्लेबाजी नहीं, कन्हाई की इंसानियत और उदारता ने गावस्कर के दिल में उनके लिए खास जगह बना दी थी.

सोचिए, एक युवा खिलाड़ी अपनी पहली सीरीज खेल रहा है, सामने दुनिया की सबसे खतरनाक गेंदबाजी... और उसी टीम का एक अनुभवी खिलाड़ी, जो कि विरोधी टीम से है, चुपचाप आकर उसका हौसला बढ़ाता है. ना कोई दिखावा, ना कोई शोर-  बस एक छोटी सी नसीहत जो उसके भविष्य की सीढ़ी साबित हुई.

एक इंटरव्यू में गावस्कर ने उस खास पल को याद करते हुए कहा था, 'जब मैंने एक खराब शॉट खेला और अगला ओवर शुरू हुआ, तो स्लिप पर जाते समय रोहन कन्हाई मेरे पास से गुजरे. वो रुके नहीं, बस कान के पास धीरे से बोले- ‘ध्यान से खेलो... सौ नहीं चाहिए क्या? क्या हो गया तुम्हें?’

rohan kanhaiरोहन कन्हाई (File, Getty)

गावस्कर उस वक्त 70 रन पर थे. उन्होंने कहा, 'मेरी वो गलती उनसे देखी नहीं गई... वो नहीं चाहते थे कि मैं आउट हो जाऊं. वो चाहते थे कि मैं शतक बनाऊं. सोचिए, विरोधी टीम के खिलाड़ी होकर भी उन्होंने मेरी हिम्मत टूटने नहीं दी.'

गावस्कर के दिल में वो पल इतनी गहराई से बस गया था कि जब कुछ साल बाद उनके घर बेटे का जन्म हुआ, तो नाम रखने में उन्हें जरा भी देर नहीं लगी. मुस्कुराते हुए कहा, 'मैंने अपने बेटे का नाम ‘रोहन’ रखने के लिए एक पल भी नहीं सोचा...'

गुयाना के रहने वाले रोहन भोलालाल कन्हाई वेस्टइंडीज की कप्तानी करने वाले भारतीय मूल के पहले खिलाड़ी थे. वह सनी रामाधीन के बाद विंडीज के लिए खेलने वाले भारतीय मूल के दूसरे खिलाड़ी थे. 89 साल के हो चुके कन्हाई ने 79 टेस्ट मैचों में (1957-1974) 47.53 की औसत से 6227 रन बनाए, जिसमें उनके 15 शतक और 28 अर्धशतक शामिल रहे. 

सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज में 4 टेस्ट मैचों में खेलकर रिकॉर्ड 774 रन (दोहरा शतक सहित 4 शतक और तीन अर्धशतक) बनाए, यह किसी डेब्यू सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है.

1971 के वेस्टइंडीज दौरे में गावस्कर का प्रदर्शन- 

पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट- पहली पारी 65 रन, दूसरी पारी 67* रन 
जॉर्जटाउन टेस्ट- पहली पारी 116 रन, दूसरी पारी 64* रन 
ब्रिजटाउन टेस्ट- पहली पारी 1 रन, दूसरी पारी 117 रन 
पोर्टऑफ स्पेन टेस्ट- पहली पारी 124 रन, दूसरी पारी 220 रन 

सुनील गावस्कर ने 16 साल (1971-1987) के अपने टेस्ट करियर में कुल 125 टेस्ट मैच खेलकर 10,122 रन बनाए, जिसमें 34 शतक और 45 अर्धशतक शामिल रही. गावस्कर की की टेस्ट में बल्लेबाजी औसत 51.12 की रही. उनके 34 शतकों का रिकॉर्ड 2005 में सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था. गावस्कर ने 108 वनडे इंटरनेशनल में में 35.13 की औसत से 3092 रन बनाए. वनडे में उनके बल्ले एक ही शतक निकला, वो भी 107वें मैच में. गावस्कर 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे. 

---- समाप्त ----

Read Entire Article