भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई ने कहा कि अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने से वैचारिक समझ बढ़ती है और जीवन के लिए मजबूत मूल्य पैदा होते हैं. सीजेआई ने रविवार को मुंबई में अपने पुराने स्कूल का दौरा किया और पुराने सहपाठियों से भी मुलाकात की.
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भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण गवई ने रविवार को कहा कि मातृभाषा में पढ़ाई से न केवल अवधारणाओं की बेहतर समझ विकसित होती है, बल्कि यह जीवनभर के लिए मजबूत संस्कार और मूल्य भी देती है.
सीजेआई गवई मुंबई स्थित अपने पूर्व विद्यालय 'चिकित्सक समूह शिरोडकर स्कूल' के दौरे पर थे, जहां उन्होंने अपने स्कूली दिनों की यादें साझा कीं और अपने पुराने सहपाठियों से भी मुलाकात की.
मुख्य न्यायाधीश ने प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा तक की पढ़ाई इसी मराठी माध्यम स्कूल से की थी. उन्होंने स्कूल परिसर का दौरा किया, कक्षाओं, पुस्तकालय और कला अनुभाग को देखा और पुराने सहपाठियों के साथ आत्मीय बातचीत की.
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स्कूल और गुरुओं की रही अहम भूमिका:CJI
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, "मैं आज जिस भी मुकाम पर पहुंचा हूं, उसमें इस स्कूल और मेरे गुरुओं की बहुत बड़ी भूमिका रही है. यहां से मुझे जो शिक्षा और संस्कार मिले, उन्होंने मेरे जीवन को दिशा दी. मंच पर बोलने की शुरुआत इसी स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भाषण प्रतियोगिताओं से हुई. आत्मविश्वास वहीं से आया और वही मेरी पहचान का आधार बना."
जस्टिस गवई ने जोर देकर कहा कि मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने से विषयों की जड़ तक समझ बनती है और जीवन के लिए आवश्यक मूल्य गहराई से मन में बैठते हैं. इस दौरान छात्रों द्वारा दी गई भावनात्मक प्रस्तुति से मुख्य न्यायाधीश बेहद अभिभूत और गर्वित नज़र आए.
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