35 हफ्ते के भ्रूण में आ जाती है चेतना! इस स्टडी ने बरसों पुरानी सोच बदली, जान‍िए- बच्चे कब महसूस करते हैं दर्द

1 week ago 3

Scientific American की रिपोर्ट के मुताबिक नवजात 5 महीने की उम्र से चेतना (consciousness) के लक्षण द‍िखाने लगते हैं, जबकि भ्रूण 35 हफ्ते में सेंसरी अवेयरनेस जगा सकते हैं, 1985 में जेफ्री लॉसन नाम के एक प्रीमैच्योर बच्चे की हार्ट सर्जरी बिना एनेस्थीसिया के की गई थी, उसे सिर्फ एक मसल रिलैक्सेंट (Pavulon) दिया गया ताकि वह हिल न सके, डॉक्टरों का कहना था कि इतनी छोटी उम्र में बच्चे दर्द महसूस नहीं करते.

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New study about babies (Representational Image)

New study about babies (Representational Image)

लंबे समय से ये सवाल चर्चा में रहा है कि एक बच्चा मां के गर्भ में या बाहर कब सचमुच दुनिया को महसूस करना शुरू करता है?  मेड‍िकल क्षेत्र में बच्चे की चेतना को लेकर अलग ही धारणा रही है. इस नई अंतरराष्ट्रीय स्टडी ने इस सवाल का जवाब ढूंढ लिया है.Scientific American की रिपोर्ट के मुताबिक शिशु 5 महीने की उम्र से चेतना (consciousness) दिखाने लगते हैं. वहीं, भ्रूण में 35 हफ्ते में सेंसरी अवेयरनेस जग जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तकरीबन 40 साल पहले डॉक्टरों ने नवजातों को दर्द महसूस करने की हिम्मत तक नहीं मानी थी?

यादगार बना जेफ्री लॉसन का केस 

बता दें कि साल 1985 में जेफ्री लॉसन नाम के एक प्रीमैच्योर बच्चे की हार्ट सर्जरी बिना एनेस्थीसिया के की गई थी. उसे सिर्फ एक मसल रिलैक्सेंट (Pavulon) दिया गया ताकि वह हिल न सके. इस ऑपरेशन टीम के डॉक्टरों का कहना था कि इतनी छोटी उम्र में बच्चे दर्द महसूस नहीं करते. असल में यह भयानक गलती जेफ्री की मौत का कारण बनी थी. उसकी मां को बाद में बताया गया कि वह एनेस्थीसिया सहन नहीं कर सकता था, लेकिन सच शायद आज सामने आया है. 

साइंस ने बदली तस्वीर

अब, 20 साल बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रीमैच्योर बेबीज के दिमाग दर्द को वैसे ही महसूस करते हैं जैसे कोई एडल्ट. Scientific American में छपी स्टडी में बताया गया कि नवजातों के सेरेब्रल कॉर्टेक्स में दर्द के वक्त ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ती है जो चेतना का सबूत है. फ्रांस के शोधकर्ताओं ने 5 महीने, 12 महीने, और 15 महीने के बच्चों पर टेस्ट किए और P300 वेव (दिमाग की इलेक्ट्रिक एक्ट‍िव‍िटी) देखी, जो जागरूकता का संकेत है. 

हैरानी की बात ये कि 35 हफ्ते के भ्रूण भी साउंड पैटर्न में बदलाव को पहचानते हैं, जो सेंसरी अवेयरनेस की निशानी है.र‍िसर्चर टीम की न्यूरोसाइंटिस्ट जूलिया मोसर के साइंट‍िफिक अमेरिकन में छपे बयान के मुताबि‍क ये शुरुआती चेतना के संकेत हैं लेकिन हमें इसे बेहतर समझने की जरूरत है. 

भारत में क्या हाल?

UNICEF के एक डेटा के अनुसार भारत में हर साल करीब 3.5 मिलियन बच्चे प्रीमैच्योर पैदा होते हैं.  लेकिन क्या हमारे अस्पताल प्रीमैच्योर बेबीज के दर्द को समझते हैं?  वैसे पिछले 10 साल में देश की मेडिकल प्रैक्टिस में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता की कमी है. ऐसे मामलों में एनेस्थीसिया का सही इस्तेमाल जरूरी है. डॉ. लोरिना नासी (ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन) के अनुसार बच्चे खुद तो बता सकते नहीं इसलिए दिमाग की गतिविधि से चेतना को समझना जरूरी है. बच्चों में किसी भी तरह की सर्जरी के मामले में अब ये नई स्टडी पूरी तरह पुरानी धारणा को बदल सकती है.

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