भारत अमेरिका ट्रेड डील (BTA) अब अखिरी चरण में पहुंच चुका है. जल्द ही इसपर सरकार की ओर से मुहर लग सकती है. दोनों देश अपनी-अपनी बात रख चुके हैं और टैरिफ समेत तमाम मुद्दों पर बात कर चुके हैं. इस ट्रेड डील को लेकर अब सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अंतिम मंजूरी का इंतजार है. ऐसा एक रिपोर्ट में दावा किया गया है.
लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर (USTR) द्वारा इसका समर्थन किए जाने के बाद ट्रेड डील होना लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन आखिरी फैसला ट्रंप की मंजूरी पर टिका हुआ है. भारतीय वार्ताकारों ने कृषि और डेयरी जैसे प्रमुख क्षेत्रों को छोड़कर बाकी सेक्टर्स पर टैरिफ को लेकर बात की है. भारत किसी भी कीमत में एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर्स को लेकर समझौता नहीं करना चहता है.
इस प्रॉसेस से जुड़े सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर मिंट को बताया कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता के पहले चरण को अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रेप की अंतिम मंजूरी का इंतजार है, जिसे अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने हरी झंडी दे दी है. यह मंजूरी समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे व्यापार संबंधों में काफी सुधार हो सकता है.
शर्तों के आधार पर रही है दोनों देशों के बीच डील
इन दोनों देशों के बीच वार्ता शर्तों के आधार पर रही है. भारत बेहतर बाजार पहुंच और कम टैरिफ के माध्यम से अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को मजबूत करने पर फोकस कर रहा है. अगर मंजूरी मिल जाती है, तो यह समझौता व्यापार नजरिए को फिर से परिभाषित कर सकता है, जिससे दोनों देशों को आर्थिक लाभ मिल सकता है.
इस सौदे को भविष्य की व्यापार चर्चाओं के लिए आधार के तौर पर देखा जा रहा है. यह इस बात के लिए एक मिसाल कायम करता है कि दोनों देश आगे बढ़ते हुए द्विपक्षीय समझौतों पर कैसे विचार कर सकते हैं.
अमेरिका-भारत की क्या है मांग?
अमेरिका की मांग है कि भारत एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर टैरिफ को कम करे, ताकि अमेरिका को एक बड़ा बाजार मिल सके. इसके अलावा, अमेरिका ऑटो और अन्य सेक्टर्स पर भी टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है. वहीं भारत की शर्त है कि वह किसी भी सूरत में अपने एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर्स के साथ समझौता नहीं करेगा.
भारत अमेरिका से 26 फीसदी टैरिफ को कम करके 10 फीसदी या उससे भी कम करने की मांग कर रहा है. साथ ही एसएमई को बढ़ावा देने के लिए भी अमेरिका से मांग कर रहा है.
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