US ही नहीं... सही ट्रैक पर ओमान-EU संग ट्रेड वार्ता, पीयूष गोयल बोले- 'हर चुनौती को अवसर...'

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भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील (India-US Trade Deal) पर अभी तक अंतिम मुहर नहीं लग सकती है, कई राउंड की बातचीत के बावजूद बात नहीं बनी है. इसे लेकर केंद्री वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने ताजा अपडेट दिया है और कहा है कि अमेरिका ही नहीं, बल्कि ओमान और यूरोपीय संघ के साथ भारत की ट्रेड वार्ता एडवांस्ड स्टेज में हैं. उन्होंने इस बात पर पर भी जोर दिया कि हर मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) की अपनी गतिशीलता होती है और तमाम देशों के साथ ये तेजी से आगे बढ़ रही है.

UK संग डील के बाद बोले पीयूष गोयल
केंद्रीय मंत्री Piyush Goyal ने शनिवार को कहा कि न केवल अमेरिका, ओमान और EU, बल्कि भारत चिली, पेरू और न्यूजीलैंड के साथ भी मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर बातचीत कर रहा है. उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर ओमान की बात करें, तो उसके साथ मुक्त व्यापार समझौते को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है, जबकि यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ बातचीत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है. 

गोयल की यह टिप्पणी बीते 24 जुलाई को India-UK Trade Deal के बाद आई है, हालाँकि, इस बात पर अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या भारत 1 अगस्त से प्रस्तावित अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ (US Reciprocal Tariff) लगने से पहले यूएस के साथ एक करार कर पाएगा.
 
अब भारत आएंगे अमेरिकी अधिकारी
बिजनेस टुडे के मुताबिक, India-US Deal को लेकर आए ताजा अपडेट की बात करें, तो मामले से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि अमेरिका के साथ Tariff को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. अब बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी अधिकारियों का एक दल अगले महीने यानी अगस्त के मध्य में भारत आने वाला है.

विकसित देशों के साथ ट्रेड पर फोकस 
भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते पर विस्तार से चर्चा करते हुए Piyush Goyal ने आगे कहा कि सरकार अब विकसित देशों और उन देशों के साथ व्यापार समझौतों पर फोकस कर रही है, जो भारत के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि जिनकी वस्तुएं और सर्विसेज हमारे प्रोडक्ट्स और सेवाओं के पूरक हैं.

'हर चुनौती को अवसर में बदलेंगे'
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने आगे कहा कि यूरोपीय संघ में भारतीय निर्यात पर कार्बन सीमा समायोजन कर (CBAM) का काफी विरोध हो रहा है और इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है, क्योंकि इससे वहां जीवन-यापन की लागत बढ़ेगी और अंततः उनके व्यापार को भी नुकसान होगा. इसे लेकर उन्होंने आगे कहा कि, 'इसका नुकसान यूरोपीय संघ को होगा, भारत को नहीं, हम हर चुनौती को अवसर में बदलेंगे.'

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