एक साल में लूट लिए 22812 करोड़ रुपये, भारतीयों की जेब में साइबर ठगों की सेंध

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साइबर क्राइम के कई मामले हमें हर रोज देखने को मिलते हैं. स्कैमर्स लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. अगर आंकड़ों की बात करें, तो साल 2024 में 22811.95 करोड़ रुपये की ठगी लोगों से साइबर अपराधियों ने की है. ये वो आंकड़ा है, जिसे लोगों ने रिपोर्ट किया है. 

इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर I4C के मुताबिक, साल 2024 में NCRP पर 19.18 लाख शिकायतें आई हैं. ये शिकायतें साइबर क्राइम से जुड़ी हुई हैं, जिसमें लोगों ने 22,811.95 करोड़ रुपये गंवा दिए हैं. इन आंकड़ों के साथ भारत दुनिया के सबसे ज्यादा साइबरक्राइम का शिकार होने वाले देशों में शामिल हो जाता है. 

हर साल बढ़ रहे साइबर अटैक के मामले

भारत में साल-दर-साल साइबर क्राइम का आंकड़ा बढ़ रहा है. GIREM की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मैलवेयर अटैक्स में 11 फीसदी, रैंसमवेयर में 22 परसेंट, IoT अटैक्स में 59 परसेंट और क्रिप्टो हमलों में कुल मिलाकर 409 परसेंट की चौंका देने वाली बढ़ोतरी हुई है. 

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साल 2023 में साइबर क्राइम की 15.56 लाख शिकायतें दर्ज हुई थीं, जो साल 2024 में बढ़कर 19.18 लाख हो गई हैं. इनमें से ज्यादा पैसों से जुड़े हुए फ्रॉड्स हैं. साल 2023 में भारतीयों ने 7496 करोड़ रुपये साइबर क्राइम में गंवाए थे, जबकि साल 2022 में लोगों ने 2306 करोड़ रुपये गंवाए थे. 

जमा-पूंजी गंवा रहे लोग

साल 2024 में ये आंकड़ा 2023 के मुकाबले तीन गुना और 2022 के मुकाबले 10 गुना बढ़ गया है. पिछले चाल सालों में लोगों ने लगभग 33,165 करोड़ रुपये साइबर फ्रॉड में गंवा दिए हैं. GIREM की रिपोर्ट की मानें, तो साल 2024 में हुए फिशिंग हमलों में 82.6 फीसदी AI जनरेटेड हैं. हाल फिलहाल में QR कोड बेस्ड साइबर फ्रॉड के मामलों की संख्या बढ़ी है. 

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अपराधी फर्जी पोस्टर्स, वॉट्सऐप मैसेज और लिंक का इस्तेमाल लोगों का टार्गेट करने के लिए कर रहे हैं, जिससे यूजर्स एक बार QR कोड को स्कैन कर लें. कोड स्कैन होने के बाद पीड़ित एक फर्जी UPI पेमेंट पोर्टल पर पहुंचते हैं, जहां से उनके बैंकिंग डेटा को चुरा लिया जाता है. इस तरीके का भारत में बड़ी संख्या में इस्तेमाल हो रहा है.

साइबर फ्रॉड में सिर्फ QR कोड स्कैन के जरिए ही नहीं बल्कि कई दूसरे तरीकों से भी लोगों को फंसाया जा रहा है. यहां फर्जी पुलिस बनने से लेकर डिजिटल अरेस्ट तक, तमाम तरीकों का इस्तेमाल लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए साइबर अपराधी कर रहे हैं. इस तरह के अपराधों का शिकार कोई शख्स हो सकता है.

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