करिश्मा के बच्चों की कोर्ट से गुहार- पिता की संपत्ति में मेरा भी हक, आज अदालत ने कहा ये!

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करिश्मा कपूर के दोनों बच्चे अब अपने पिता संजय कपूर (Sunjay Kapur) की संपत्ति में हक मांग रहे हैं, मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है, और बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई. करिश्मा कपूर के बच्चों का कहना है कि संजय कपूर की संपत्ति उन्हें पूरी तरह से बाहर रखा गया है और बताया गया कि वसीयत में उनका नाम नहीं है. 

दिल्ली हाई कोर्ट ने करिश्मा कपूर के दोनों बच्चों समायरा कपूर और किआन कपूर की याचिका पर सुनवाई की. हाई कोर्ट में इनके वकील महेश जेठमलानी हैं, कोर्ट ने इस मामले को सिविल सूट के रूप में दर्ज कर लिया है और प्रिया सचदेव कपूर को आदेश दिया है कि वे संजय कपूर की चल और अचल संपत्तियों का ब्यौरा अदालत में जमा करें. इस मामले में अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी. 

मां ने कहा- मुझे भी किया गया गुमराह

इस दौरान संजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी अदालत में कहा कि 10000 करोड़ की संपत्ति में से उन्हें कुछ नहीं मिला और दस्तावेज भी साझा नहीं किए गए. जबकि प्रिया कपूर के वकील राजीव नायर ने कोर्ट से कहा कि यह मुकदमा विचारणीय नहीं है, क्योंकि करिश्मा कपूर के बच्चों को ट्रस्ट से पहले ही 1900 करोड़ मिल चुके हैं. 

गौरतलब है कि करिश्मा कपूर के बच्चे अपने पिता की संपत्ति में बंटवारे की मांग कर रहे हैं. बता दें, उद्योगपति संजय कपूर की दूसरी पत्नी करिश्मा कपूर, और तीसरी पत्नी प्रिया सचदेवा कपूर रहीं. 

आज हाई कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

करिश्मा के बच्चों की तरह से वकील महेश जेठमलानी ने अदालत को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि प्रिया कपूर शुरू से ही कह रहीं कि कोई वसीयत नहीं थी. 

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रिया कपूर को आदेश दिया है कि वे संजय कपूर की सभी अचल और चल संपत्तियों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें. अदालत ने यह निर्देश 12 जून 2025 तक उनके जानने में आई संपत्तियों के संदर्भ में जारी किया है. न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि वसीयत को सील बंद लिफाफे में अदालत में जमा किया जाए ताकि गोपनीयता बनी रहे. अदालत ने 'कॉनफिडेंशियलिटी क्लब' बनाने का सुझाव भी दिया, जहां दोनों पक्ष अपने वकीलों को नामित कर वसीयत देख सकें, बिना सार्वजनिक रूप से इसके विवरण उजागर हुए. 

कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि दोनों पक्ष दो हफ्ते के भीतर लिखित जवाब दाखिल करें, और एक हफ्ते के भीतर पुनरुत्तर (Rejoinder) पेश करें. अगली सुनवाई की तारीख 9 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है. इसके बाद अदालत ये फैसला ले सकती है कि क्या अस्थायी रूप से सम्पत्तियों पर रोक (Interim Injunction) लगानी चाहिए ताकि संपत्ति का कोई हस्तांतरण न हो सके. 

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