हाल के वर्षों में विभिन्न देशों में कई मुश्किल सैन्य कार्यों में प्रशिक्षित सैन्य कुत्तों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जॉर्जिया सहित कई देशों में मिलिट्री डॉग्स की अलग यूनिट है. ये अक्सर सबसे अधिक जोखिम वाले मिशनों में सहायता करते हैं. ऐसे में कई बार ये जख्मी भी हो जाते हैं और इन्हें खून की जरूरत होती है. इसलिए चिकित्सा सहायता के लिए सेना के कुत्ते अक्सर रक्त दान करते हैं.
भारत में भी बहादुर कुत्ते सेना में एक अहम भूमिका निभाते हैं. भारत में मिलिट्री डॉग्स यूनिट का नाम रीमाउंट वेटनरी कॉर्प्स है. युद्ध का मैदान हो, या कोई स्पेशल मिशन, या फिर बम डिफ्यूज करने की जरूरत हो, यहां तक की छुपे हुए आतंवादियों को खोजने में भी सेना की डॉग यूनिट काफी काम की होती है.
चोटिल होने पर मिलिट्री डॉग्स को होती है खून की जरूरत
कई बार कुछ खतरनाक टास्क के दौरान ये डॉग्स चोटिल भी हो जाते हैं. ऐसे में इन्हें खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. तब डॉग यूनिट के किसी स्वस्थ्य कुत्ते से खून लेकर जख्मी डॉग को चढ़ाया जाता है.
ऐसे किसी विषम परिस्थिति में पहले से तैयारी के लिए सेना के डॉग यूनिट के स्वस्थ्य कुत्ते समय-समय पर ब्लड डोनेट भी करते हैं. कभी-कभी इस ब्लड से आम पालतू कुत्तों की भी जान बचाई जाती है. मिलिट्री डॉग्स को मिलिट्री वर्किंग डॉग्स (MWD) कहा जाता है.
28 दिनों तक सुरक्षित रह सकता है कुत्ते का खून
Health.mil के अनुसार, कुत्तों को खून चढ़ाने में एक समस्या ये आती है कि इनका डोनेट किया ब्लड लंबे समय तक स्थिर नहीं रह पाता है. इसे 4 डिग्री सेल्सियस पर 28 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. वहीं ताजा फ्रोजन प्लाज्मा एक साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में चिकित्सा सहायता के दौरान कुत्तों को ताजा खून की जरूरत पड़ती है. यही वजह है कि सैनिक या आम पालतू स्वस्थ्य कुत्तों से अक्सर रक्तदान कराया जाता है.
ब्लड डोनेट करने के बाद डॉग्स पर क्या होता है असर
अमेरिकी रक्षा स्वास्थ्य एजेंसी (डीएचए) की पशु चिकित्सा सेवा की पशु चिकित्सा प्रमुख, आर्मी लेफ्टिनेंट कर्नल सारा कूपर ने बताया कि कुत्तों के रक्त बैंकों का इस्तेमाल करने का एक नुकसान यह है कि डोनर कुत्ते ठीक होने के दौरान 24 घंटे तक काम नहीं कर पाते और हर दो महीने में ही रक्तदान कर पाते हैं.
किस तरह के डॉग्स कर सकते हैं ब्लड डोनेट
सेना के कुत्तों के अलावा सामान्य पालतू कुत्तों को भी बीमारी और चोट लगने पर कई बार खून की जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसी स्वस्थ्य और वैक्सिनेटेड कुत्ते से रक्तदान कराया जाता है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बिजनेस टायकून रतन टाटा ने एक बार एक बीमार कुत्ते के लिए रक्तदान की अपील की थी. तब कई सारे डोनर खून देने के लिए सामने आए थे.
जब रतन टाटा ने एक कुत्ते के लिए की थी रक्तदान की अपील
रतन टाटा ने ब्लड डोनेट करने वाले कुत्ते के लिए एक क्राइटेरिया भी बताया था. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था कि रक्तदान करने वाले पात्र कुत्ते की उम्र 1 से 8 साल के बीच हो, वजन कम से कम 25 किलोग्रा हो, वह पूरी तरह से टीकाकृत और स्वस्थ होना चाहिए.
इसके बाद से टाटा ट्रस्ट के इस स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल में कुत्तों व अन्य पालतू पशुओं के लिए रक्तदान और खून चढ़ाने की सुविधा भी मिलने लगी. इसके लिए खुद रतन टाटा ने आगे आने वाले लोगों और उनके पालतू पशुओं का शुक्रिया अदा किया था.
राजस्थान के इस शहर में भी कुत्ते करते हैं ब्लड डोनेट
इसी तरह राजस्थान के अलवर में भी एक पशु चिकित्सालय ने स्ट्रीट और पेट डॉग की सहायता के लिए ब्लड डोनेशन का काम शुरू किया है. इस अनोखी पहल के तहत पूरी तरह से स्वस्थ पालतू कुत्तों का रक्तदान कराया जाता है. फिर इसका इस्तेमाल बीमार पालतू और स्ट्रीट डॉग्स के इलाज के लिए किया जाता है. यहां सिर्फ कुत्तों का ही नहीं, बल्कि दूसरे पशुओं से भी रक्तदान कराया जाता है.
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