टी राजा सिंह... सियासत से ज्यादा बवालों में रहे, पिछले चुनाव से पहले हुई थी BJP में वापसी, फिर एग्जिट

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में संगठन चुनाव चल रहे हैं. नए प्रदेश अध्यक्ष चुने जा रहे हैं, अनुभवी चेहरों को संगठन की कमान सौंपी जा रही है. संगठन के इस नेतृत्व चयन से ठीक पहले तेलंगाना में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. तेलंगाना के विधायक और बीजेपी के फायरब्रांड नेता टी राजा सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. टी राजा सिंह ने रामचंद्र राव को तेलंगाना बीजेपी बनाए जाने की चर्चा को आधार बनाकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

उन्होंने अपने इस्तीफे में रामचंद्र राव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को हैरानी भरा फैसला बताते हुए कहा कि जब बीजेपी तेलंगाना में सरकार बनाने के लिए तैयार खड़ी है, इस चयन से संदेह उत्पन्न होता है कि हम लोग किस दिशा में जा रहे हैं. अपने बयानों से विवादों में रहने वाले टी राजा सिंह इस बार बीजेपी से इस्तीफे को लेकर चर्चा में हैं. तीन बार के विधायक टी राजा सिंह गोशमहल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह सियासी जीत से ज्यादा विवादित बोल के कारण चर्चा में रहते हैं.

टीडीपी से की थी सियासी सफर की शुरुआत

उत्तर भारतीय लोध परिवार से आने वाले टी राजा सिंह का जन्म हैदराबाद के धूलपेट में हुआ था. टी राजा सिंह को परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उनका परिवार मूर्तियां बनाने के व्यवसाय में था. पढ़ाई छोड़ने के बाद वह भी इसी काम में लग गए. राजनीति में आने से पहले उन्होंने ऑडियो और वीडियो कैसेट बेचने का काम भी किया. साल 2009 में टी राजा सिंह ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से अपने सियासी सफर का आगाज किया था. वह टीडीपी से पार्षद निर्वाचित होकर चुनावी राजनीति में आए थे. टी राजा सिंह ने 2013 में टीडीपी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.

गोशमहल से जीत चुके हैं लगातार तीन चुनाव

टी राजा सिंह को बीजेपी ने 2013 के तेलंगाना चुनाव में गोशमहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. हैदराबाद की हिंदू बाहुल्य इस सीट पर टी राजा सिंह ने कमल खिला दिया. 2018 के चुनाव में जब बीजेपी के सभी उम्मीदवारों को शिकस्त का सामना करना पड़ा, टी राजा तब भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 2018 से 2023 तक तेलंगाना में बीजेपी के इकलौते विधायक रहे टी राजा सिंह ने 2018 में भी पार्टी की सदस्यता से अचानक इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, तब पार्टी ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया.

2022 में BJP से निकाले गए, चुनाव से पहले हुई वापसी

साल 2022 में स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के शो को लेकर विवाद हुआ था. तब टी राजा सिंह ने फारुकी के शो का विरोध करते हुए पैगंबर मोहम्मद को लेकर ऐसा बयान दे दिया था, कि हंगामा मच गया. टी राजा को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. विवाद बढ़ने और गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने टी राजा सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था.

हालांकि, विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उनकी पार्टी में वापसी हुई और गोशमहल सीट से उम्मीदवारी का ऐलान भी हुआ. गोशमहल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की हैदराबाद लोकसभा सीट के तहत आती है. गोशमहल को छोड़कर हैदराबाद संसदीय सीट की अन्य सभी विधानसभा सीटों पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार जीते, लेकिन टी राजा ने यहां लगातार तीसरी बार कमल खिला दिया.

जीत से ज्यादा बवालों में रहते हैं टी राजा सिंह

टी राजा सिंह तेलंगाना विधानसभा में कभी बीजेपी के इकलौते विधायक भी रहे, लेकिन वह अपनी जीत से ज्यादा चर्चा में बवालों के कारण रहे. फायरब्रांड हिंदूवादी नेता टी राजा सिंह ने 2023 के तेलंगाना चुनाव से पहले असदुद्दीन ओवैसी को देशद्रोही बताते हुए कहा था कि वह (ओवैसी) हैदराबाद का सांसद है, यह दुर्भाग्य है. पहले वह कांग्रेस को वोट बेचता था, अब बीआरएस को बेचता है. 2017 में पद्मावत फिल्म का विरोध करते हुए उन्होंने कहा था कि यह फिल्म जिस थिएटर में दिखाई जाएगी, उसे जला देंगे.

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2017 में ही एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टी राजा सिंह ओल्ड हैदराबाद को मिनी पाकिस्तान बताते हुए कहा था कि अगर जांच की जाए, तो यहां के हर घर से बम मिलेंगे. राम मंदिर के लिए जान लेने, जान देने का संकल्प लेकर भी वह विवादों में आ गए थे. साल 2020 में नफरत फैलाने वाले बयान वजह बताते हुए टी राजा सिंह को फेसबुक और इंस्टाग्राम ने बैन कर दिया था.  राजा सिंह के खिलाफ 2023 के तेलंगाना चुनाव तक ही करीब 80 केस दर्ज थे, जिनमें करीब तीन दर्जन केस धार्मिक भावनाएं भड़काने से संबंधित हैं. हैदराबाद पुलिस ने टी राजा सिंह को 2019 में राउडी शीटर (हिस्ट्री शीटर) घोषित किया था.

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साल 2023 में टी राजा सिंह ने महाराष्ट्र के संभाजीनगर में रैली कर अगर हिंदू जिहाद करेंगे, तो विवाह करने के लिए तुम्हें लड़कियां भी नहीं मिलेंगी. औरंगाबाद से औरंगजेब की कब्र का नामोनिशान मिटा देंगे. उन्होंने इसी रैली में कहा था कि जहां हिंदू बंटा, वहां हिंदू कटा. इन्हें वैसे ही सबक सिखाना है, जैसे छत्रपति शिवाजी ने अफजल खान को सिखाया था. इन बयानों को लेकर महाराष्ट्र में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. कुछ दिन पहले ही टी राजा सिंह ने बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष पद की महत्वाकांक्षा जाहिर की थी. अब प्रदेश अध्यक्ष चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ने का ऐलान कर टी राजा सिंह फिर से सुर्खियों में आ गए हैं.

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