दोस्त पाकिस्तान के नागरिकों को टॉर्चर कर रहा तुर्की! बुल्गारिया बॉर्डर पर घंटों रखा हिरासत में

6 days ago 1

पाकिस्तान की सेना और सरकार ने आतंकियों के साथ ऐसी सांठ-गांठ बनाई है कि उनके लोगों को हर जगह इसके लिए अपमानित होना पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि एक ऐसे देश के रूप में बन चुकी है जो आतंकवाद को पालने-पोसने से लेकर उसकी फंडिंग, समर्थन आदि का काम करता है. ऐसे में विदेशों में उसके नागरिकों को परेशानी होना बेहद आम बात हो गई है. तुर्की, जो खुद को पाकिस्तान को दोस्त बताता है, वहां भी एक पाकिस्तानी नागरिक को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. खबर है कि तुर्की-बुल्गारिया बॉर्डर पर एक पाकिस्तानी को रोक लिया गया और उसके पास डॉक्यूमेंट्स होने के बावजूद, शक की वजह से बेहद सख्ती से उससे पूछताछ की गई.

एक अमेरिकी कंटेट क्रिएटर जेनी ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए एक वीडियो शेयर किया है. क्रिएटर का कहना है कि पाकिस्तानी नागरिक के पास सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स थे बावजूद इसके, चूंकि वो पाकिस्तानी नागरिक था, इसलिए उसे रोक लिया गया. दरअसल, पाकिस्तानी नागरिक बाकी यात्रियों के साथ बस में सवार होकर तुर्की-बुल्गारिया बॉर्ड क्रॉस करने की कोशिश कर रहा था जहां उसे रोका गया.

जेनी, जो कि एक ट्रैवल ब्लॉगर हैं, उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'तुर्की से बुल्गारिया तक की सीमा पार करना एक आसान काम था, लेकिन इसमें 3 घंटे की देरी हो गई, और यह सब सिर्फ इसलिए क्योंकि एक यात्री के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था. उससे घंटों पूछताछ की गई. एक नहीं, बल्कि कई अधिकारियों ने, मानो सिर्फ पाकिस्तानी पासपोर्ट होना ही उसे संदेह की नजर से देखने के लिए पर्याप्त था.'

जेनी ने आगे दावा किया कि जिस पाकिस्तानी को अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया था, वो शेंजेन देश लक्जमबर्ग में रहकर काम करता है. उन्होंने लिखा कि उस व्यक्ति के पास निवास परमिट, रोजगार का वेरिफिकेशन और एड्रेस प्रूफ सभी डॉक्यूमेंट्स थे. बावजूद इसके, उसे रोककर हिरासत में लिया गया और तीन घंटे तक पूछताछ की गई.

विदेशों में बदनाम पाकिस्तानी, कुवैत ने अंब तक बंद कर रखी थी एंट्री

पाकिस्तान के आतंकवाद का भुक्तभोगी रहे खाड़ी देश कुवैत ने 2011 में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा दिया था. खाड़ी देश ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी करना बंद कर दिया था. कुवैत ने कहा था कि पाकिस्तान में सुरक्षा की स्थिति सही नहीं है और उसे डर था कि अलकायदा और तालिबान से जुड़े कट्टर इस्लामिक आतंकी कुवैत में आकर आतंकवाद फैला सकते हैं.

बैन की एक वजह 1985 में कुवैत के अमीर शेख जबेर अल-अहमद अल-सबह पर हमले में पाकिस्तानी लिंक का होना भी माना जाता है. हमले में शेख बच गए थे लेकिन उनके दो बॉडीगार्ड और एक राहगीर मारा गया था. जांच में यह बात सामने आई कि हमलावर ने कुवैत में एंट्री के लिए पाकिस्तान के फेक पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था और उसके तार ईरान समर्थित संगठनों से जुड़े थे.

उसी बीच बहुत से पाकिस्तानी अस्थायी वीजा पर कुवैत जाकर वहां स्थायी रूप से बसने लगे जिसे देखते हुए 2011 में कुवैत ने पाकिस्तानियों को वीजा देना बंद कर दिया. हाल ही में कुवैत ने पाकिस्तानियों पर लगे इस प्रतिबंध को हटाया है.

भिखारियों को लेकर भी पाकिस्तानी की होती रही है फजीहत

हाल के सालों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इराक समेत मध्य-पूर्व के कई देश पाकिस्तान से आपत्ति जता चुके हैं कि वो अपने भिखारियों को उनके देश भेजना बंद करे. पाकिस्तान के लोग हज, उमराह और अन्य धार्मिक वीजा पर मध्य-पूर्वी देशों में जाकर भीख मांगने का काम करते हैं.

मध्य-पूर्व के देशों में भिखमंगी पर रोक है, बावजूद इसके पाकिस्तान के लोग वहां जाकर भीख मांगते हैं. इसके लिए कई बार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती का सामना करना पड़ा है लेकिन यह सिलसिला रुका नहीं है. 2023 में ओवरसीज पाकिस्तानी मंत्रालय के तत्कालीन सेक्रेटरी जुल्फिकार हैदर ने सीनेट की स्थायी समिति को बताया था कि विदेशों में गिरफ्तार किए गए 90 फीसद भिखारी पाकिस्तानी हैं. 

Read Entire Article