पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर जम्मू-कश्मीर के एजेंडे से हट नहीं पा रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सेना की हार के बाद उनकी बौखलाहट साफ दिख रही है. इस बार तो उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवाद को घोषित रूप से समर्थन दिया है. आसिम मुनीर ने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद को एक "वैध संघर्ष" बताते हुए कहा कि उनका देश कश्मीर के लोगों के संघर्ष में हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा.
गौरतलब है कि इससे पहले 17 अप्रैल को आसिम मुनीर ने कश्मीर, टू नेशन थ्योरी और हिन्दुओं के बारे में नफरती और भड़काऊ बयान दिया था. उनके इस बयान के 5 दिन बाद ही पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था. इसी हमले में दहशतगर्दों ने धर्म पूछकर 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या कर दी थी. इसके 7 मई को भारत ने इस आतंकी हमले के जवाब में अपना पराक्रम दिखाया था.
अब आसिम मुनीर ने एक बार फिर से कश्मीर को लेकर भड़काऊ बयान दिया है. जिससे आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान ढीले रवैये की पोल खुल जाती है.
मुनीर ने इस बार क्या कहा?
मुनीर ने शनिवार को कराची स्थित पाकिस्तान नौसेना अकादमी में पासिंग आउट समारोह को संबोधित करते हुए कहा, "भारत जिसे आतंकवाद कहता है, वह वास्तव में स्वतंत्रता के लिए एक वैध और कानूनी संघर्ष है, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है."
ऑपरेशन सिंदूर की ओर इशारा करते हुए उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों ने कश्मीरी लोगों की इच्छा को दबाने और समाधान के बजाय संघर्ष को खत्म करने की कोशिश की है, उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से आंदोलन को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है.
मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के संघर्ष में उनके साथ खड़ा रहेगा. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार कश्मीर मुद्दे के न्यायोचित समाधान का पुरजोर समर्थन करता है."
मुनीर के इस बयान से साफ होता है कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंकवादियों को सपोर्ट करता है बल्कि उनको नैतिक सपोर्ट भी करता है. ऐसे बयानों के बाद आतंकी हमले के रिकॉर्ड को देखते हुए भारत को सतर्क और अलर्ट रहने की जरूरत है. गौरतलब है कि भारत ने साफ साफ कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है सिर्फ रूका है.
पाकिस्तान की रणनीति क्या है?
कश्मीर पर बार बार बयान देना, इसे संयुक्त राष्ट्र में विवादित बताना पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा रहा है. इसका उद्देश्य कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जीवित रखना है. पाकिस्तान का एक धड़ा मानता है कि ऑपरेशन सिंदूर की वजह से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय करण हुआ है. दुनिया के दो परमाणु संपन्न देश होने की वजह से भारत-पाकिस्तान की गतिविधियों पर विश्व की दृष्टि रहती है. पाकिस्तान का मानना है कि इस हालिया टकराव ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय कवरेज दी है और ये मुद्दा एक बार फिर से बातचीत की टेबल पर आ सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बयानबाजियों ने भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बार बार चर्चा में ला दिया है.
आसिम मुनीर और पाकिस्तान सरकार इन्हीं परिस्थितियों का फायदा उठाना चाहती है. इसलिए कश्मीर पर वे बार बार बयानबाजी कर रहे हैं. गौरतलब है कि हाल ही में आसिम मुनीर ने ट्रंप से मुलाकात की है.
कश्मीर पर पाकिस्तान की विदेश नीति के फोकस होने की एक और वजह है. पाकिस्तान अभी घोर आंतरिक संकट में फंसा हुआ है. टीटीपी, ब्लोच लिब्रेशन आर्मी के हमले, राजनीतिक असंतोष, पानी के मुद्दे पाकिस्तान में हंगामा बरपा रहे हैं.
ऐसे मौके पर कश्मीर का मुद्दा उठाकर कर सरकार और सेना दोनों ही अपनी स्थिति मजबूत करते हैं. इसलिए आसिम मुनीर हर मुमकिन मौके पर कश्मीर का राग छेड़ देते हैं.
क्या आसिम मुनीर आतंकियों को हमले के लिए उकसा रहे हैं?
17 अप्रैल को आसिम मुनीर ने'ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन 2025' में कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को अपने देश की कहानी बच्चों को ज़रूर सुनानी चाहिए, जिससे वे पाकिस्तान की कहानी ना भूलें.
उन्होंने हिंदुओं के प्रति नफरत भरे भाव को जाहिर करते हुए कहा था कि, "हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम जीवन के हर संभव क्षेत्र में हिंदुओं से अलहदा हैं. हमारा मजहब अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज़ अलग हैं. हमारी संस्कृति अलग हैं और हमारी सोच अलग हैं. हमारी महत्वकांक्षाएं अलग हैं. यह दो राष्ट्र के सिद्धांत की नींव थी."
इसी संबोधन में आसिम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया था. और कहा था कि, "कश्मीर पर हमारा और सरकार का रुख़ बिल्कुल स्पष्ट है. हम इसे नहीं भूलेंगे. हम अपने कश्मीरी भाइयों को नहीं छोड़ेंगे."
मुनीर के इसी बयान के बाद पहलगाम में हमला हुआ था.
सवाल है कि क्या आसिम मुनीर इस तरह के बयान फिर देकर पाकिस्तान के फ्रिंज आतंकी एलिमेंट को कश्मीर पर हमले के लिए उकसा रहे हैं. गौरतलब है कि 17 अप्रैल के हमले की जिम्मेदारी TRF नाम के दहशतगर्द संगठन ने ली थी.
मुनीर की बयानबाजी से पाकिस्तानी सेना और ISI का आतंकवादियों को संरक्षण स्पष्ट होता है, जिससे भारत में हमलों का खतरा बढ़ रहा है.ये बयान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को प्रोत्साहन देते हैं, जो पहले ही भारत में आतंकी कृत्यों में शामिल रहे हैं. हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नष्ट हो चुके आतंकी शिविरों को फिर से एक्टिवेट करने की कोशिश कर रहा है.
आतंकवाद को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा
गौरतलब है कि पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ खुलकर स्टैंड लिया है. भारत ने साफ कर दिया है कि भविष्य में अगर भारत पर कोई भी आतंकवादी हमला हुआ तो इस कृत्य को भारत के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई या एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. इसके बाद भारत इसी अनुरूप में इसका करारा जवाब देगा.
क्या 'ऑपरेशन सिंदूर-2' का रास्ता तैयार हो रहा
गौरतलब है कि जब 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच पाकिस्तान की पुकार पर सीजफायर हुआ तो भारत ने प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, बस रूका है. भारत का संदेश साफ था कि अगर फिर से जम्मू-कश्मीर समेत भारत की जमीन पर कहीं भी आतंकी हमले हुए तो भारत का जवाबी एक्शन 'ऑपरेशन सिंदूर-2 के रूप में फिर से शुरू हो जाएगा.
पीएम मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर अब न्यू नॉर्मल है. उन्होंने आगे कहा था कि अगर अब भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है तो इसका जवाब दिया ही जाएगा.
"न्यू नॉर्मल" का अर्थ है कि अगर अब भारत पर टेरर अटैक होता है तो इन आतंकवादी हमलों का जवाब ऑपरेशन सिंदूर जैसे परिमाण में ही सटीक सैन्य कार्रवाइयों, अत्याधुनिक हथियारों जैसे राफेल, ब्रह्मोस मिसाइल, और आकाश जैसे स्वदेशी हथियारों से दिया जाएगा.
इसलिए आसिम मुनीर अगर फिर से किसी हिमाकत का सपना देख रहे हैं तो उन्हें 7 मई और 10 मई के जैसे भारत के विध्वंसक और ताबड़तोड़ प्रहार के लिए तैयार रहना होगा.