कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कई नेताओं की महिलाओं के बारे में सोच को भी उजागर कर दिया है. इसके साथ ही टीएमसी के अंदर अंतर्कलह को भी सामने लाया है. गैंगरेप के इस मामले में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच जो तीखी नोकझोंक हुई है वह किसी भी पार्टी के लिए खतरे की घंटी तो है पार्टी और सरकार का महिलाओं के प्रति रवैया क्या है इसे भी उजागर करती है.
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने रेप आरोपियों के बचाव में जिस तरह की बयानबाजी की है वह उनका महिलाओं के प्रति उनकी सोच कितनी गिरी हुई है यह तो दिखाता ही दूसरे यह भी बताता है कि अपनी बात को सही साबित करने के लिए वो किस स्तर तक जा सकते हैं. जो शख्स अपनी ही पार्टी की एक महिला सांसद के बारे कुछ भी कह सकता है उस सांसद से महिला संबंधी अपराधों के बारे में क्या ही उम्मीद की जा सकती है?
जो खरी खोटी उन्होंने अपनी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा के बारे कही है वह तो उन्हें चारित्रिक रूप से बिल्कुल नीचे गिरा देती है. महुआ के बारे में उन्होंने जैसी बातें की हैं कोई भी महिला उससे उतना ही अपमानित महसूस करेगी जितना कि कोई रेप पीड़िता महसूस करती है. पर दुर्भाग्य है कि इस तरह के आक्षेप के लिए हमारे यहां महिलाएं कोर्ट जाने से डरती हैं, क्योंकि हमारा समाज उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देता है. उन्हें डर होता है कि जितनी ही चर्चा होगी उतना ही उनकी इज्जत सार्वजनिक रूप से उछाली जाएगी.
25 जून 2025 को साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में एक 24 वर्षीय प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना हुई. पीड़िता के अनुसार, तीन लोगों—मनोजीत मिश्रा ( पूर्व छात्र और टीएमसी छात्र परिषद का पूर्व पदाधिकारी), प्रमीत मुखर्जी और जैब अहमद ने उसके साथ जबरदस्ती की. कॉलेज परिसर में एक गार्ड के कमरे में ले जाकर तीनों ने बलात्कार किया और वीडियो भी बनाया. उसे लीक करने की धमकी दी. पीड़िता ने बताया कि उसे तीन घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखा गया और विरोध करने पर उसे हॉकी स्टिक से पीटा गया. इस मामले में बंगाल पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनमें एक सुरक्षा गार्ड, पिनाकी बनर्जी, भी शामिल है.
टीएमसी नेताओं कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के बयानों पर गौर करिए
घटना के सामने आने के बाद, टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी और विधायक मदन मित्रा के बयानों ने विवाद को जन्म दिया. दोनों नेताओं के बयानों को पीड़िता को दोषी ठहराने वाला (victim-blaming) माना गया, जिसके लिए उनकी व्यापक आलोचना हुई. बनर्जी ने कहा, कि अगर एक दोस्त अपने दोस्त के साथ बलात्कार करता है, तो सरकार ऐसी स्थिति में सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकती है? क्या स्कूलों में पुलिस तैनात की जाएगी? उन्होंने यह भी कहा कि पुरुषों की मानसिकता के कारण महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है, लेकिन उनके बयान को पीड़िता को दोषी ठहराने वाला माना गया.
विधायक मदन मित्रा का बयान भी कम नहीं है. मित्रा ने कहा, यह घटना लड़कियों के लिए एक संदेश है कि अगर कोई आपको कॉलेज बंद होने पर बुलाता है, तो न जाएं. इससे कुछ अच्छा नहीं होगा. अगर वह लड़की वहां नहीं जाती, तो यह घटना नहीं होती. इस बयान को भी पीड़िता को ही दोषी ठहराने वाला माना गया.
जाहिर है कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा का बयान उनकी पार्टी के लिए भी शर्मिंदगी वाला था. शायद यही कारण है कि पार्टी ने अधिकारिक बयान जारी कर इन दोनों नेताओं के बयान से पल्ला झाड़ लिया. हालांकि बीजेपी को मौका मिल गया. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने टीएमसी को बलात्कारियों का समर्थक करार दिया और ममता बनर्जी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में गंभीर न होने का आरोप लगाया.
महुआ मोइत्रा पर कल्याण बनर्जी का व्यक्तिगत हमला
एक तरफ टीएमसी ने बनर्जी और मित्रा के बयानों से खुद को अलग करते हुए कहा कि ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं और पार्टी का इनसे कोई लेना-देना नहीं है. पार्टी ने इन दोनों नेताओं के बयानों से पूरी तरह असहमति जताई और इनकी कड़ी निंदा भी की.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी पार्टी के इस बयान का समर्थन करते हुए एक्स पर लिखा, कि भारत में मिसोगिनी (महिला-विरोधी मानसिकता) हर पार्टी में मौजूद है. उन्होंने लिखा कि जो चीज हमारी पार्टी टीएमसी को अलग करती है, वह यह है कि हम इन घृणित टिप्पणियों की निंदा करते हैं, चाहे इन्हें कोई भी कहे, मोइत्रा का यह बयान बनर्जी और मित्रा पर निशाना था. जाहिर है कल्याण बनर्जी जैसे नेताओं में चिढ़ मचनी ही थी.
मोइत्रा की टिप्पणी से नाराज़ होकर, कल्याण बनर्जी ने उनके निजी जीवन पर हमला बोल दिया. बनर्जी ने तंज कसते हुए कहा कि महुआ मोइत्रा डेढ़ महीने के हनीमून से भारत लौटी हैं और आते ही मुझसे लड़ने लगी हैं. वह मुझे महिला-विरोधी कह रही हैं, वह खुद क्या हैं? उन्होंने 40 साल पुराना परिवार तोड़ा और 65 साल के व्यक्ति से शादी की. क्या उन्होंने उस महिला को ठेस नहीं पहुंचाई? देश की महिलाएं इसका फैसला करेंगी. गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा ने हाल ही में पूर्व बीजद सांसद पिनाकी मिश्रा के साथ शादी की है.
बनर्जी का पेट इतने से नहीं भरा . वो अपनी भड़ास निकालते हुए कहते हैं कि एक सांसद, जिसे संसद से आचार संहिता के उल्लंघन के लिए निष्कासित किया गया था, मुझे उपदेश दे रही है. वह सबसे ज्यादा महिला-विरोधी हैं. वह केवल अपनी भविष्य की सुरक्षा और पैसे कमाने में रुचि रखती हैं. बनर्जी ने मोइत्रा पर यह भी आरोप लगाया कि वह अपनी संसदीय सीट (कृष्णानगर) में अन्य महिला नेताओं को उभरने नहीं देतीं.
सवाल उठता है कि क्या बनर्जी का आक्षेप माफी लायक है? बनर्जी ने बिना गोल्ड डिगर शब्द का इस्तेमाल किए महुवा पर वैसे ही आरोप लगाएं हैं. इसलिए शायद ही कोई सभ्य समाज बनर्जी की बातों को माफी लायक मानेगा. बनर्जी का मोइत्रा के निजी जीवन, विशेष रूप से उनकी शादी और उम्र के अंतर को निशाना बनाना, अनुचित और व्यक्तिगत था. इसे रेप केस से ध्यान भटकाने की कोशिश के रूप में देखा जाना चाहिए.
क्या इसके लिए कानूनी कार्रवाई संभव है?
भारतीय कानून के दायरे में कल्याण बनर्जी की टिप्पणियों की प्रकृति, संभावित कानूनी आधार, और कार्रवाई की संभावनाओं का मूल्यांकन जरूर होना चाहिए. तभी इस तरह की प्रवृत्ति से छुटकारा मिलेगा. मोइत्रा की हाल की शादी (पूर्व बीजद सांसद पिनाकी मिश्रा के साथ) का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि महुआ ने डेढ़ महीने हनीमून मनाकर भारत लौटने के बाद मुझसे लड़ना शुरू किया. उन्होंने 40 साल पुराना परिवार तोड़ा और 65 साल के व्यक्ति से शादी की. क्या उन्होंने उस महिला को ठेस नहीं पहुँचाई?
इस बयान में मोइत्रा को महिला-विरोधी और सबसे बड़ी परिवार तोड़ने वाली करार दिया गया है. बयान में यह भी दावा किया गया कि वह अपनी संसदीय सीट (कृष्णानगर) में अन्य महिला नेताओं को उभरने नहीं देतीं हैं. जाहिर है कि इन सब बयानों के आधार पर महुआ मानहानि का मुकदमा कर सकती हैं.
भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 499 और 500 के अनुसार मानहानि तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से झूठे या अपमानजनक बयान देता है. बनर्जी के बयान, जैसे 40 साल का परिवार तोड़ा और पैसे कमाने में रुचि, मोइत्रा की सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुचाने वाले हैं. इसलिए स्पष्ट रूप से यह आपराधिक मानहानि का मामला बन सकता है.
IPC धारा 509 के तहत किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों, इशारों, या कार्यों को अपराध माना जाता है. बनर्जी की टिप्पणिया, जैसे मोइत्रा की शादी और निजी जीवन पर कमेंट, उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली मानी जा सकती हैं.सोशल मीडिया पर व्यापक नकारात्मक प्रतिक्रियाएं महुआ के दावे को समर्थन के लिए काफी हैं.
बनर्जी और मोइत्रा दोनों लोकसभा सांसद हैं, और बनर्जी के बयान संसदीय मर्यादा का उल्लंघन हो सकते हैं. लोकसभा की आचार समिति इस मामले की जांच कर सकती है, विशेष रूप से क्योंकि बनर्जी ने मोइत्रा के 2023 के निष्कासन का उल्लेख किया, जो संसदीय विशेषाधिकार का दुरुपयोग माना जा सकता है.