मालेगांव ब्लास्ट: आरोपियों को राहत, जांच एजेंसियों पर सवाल... NIA कोर्ट ने 'अभिनव भारत' पर क्या कहा?

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मालेगांव ब्लास्ट केस में सात आरोपियों को बरी करते हुए विशेष एनआईए अदालत ने शुक्रवार को कहा कि अभियोजन पक्ष का यह दावा साबित नहीं हो पाया कि दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत ने इस वारदात को अंजाम दिया था. यही नहीं अदालत ने दो टूक शब्दों में कहा कि केंद्र सरकार ने आज तक इस संगठन को न तो आतंकवादी संगठन घोषित किया है और न ही गैरकानूनी संस्था की सूची में डाला है.

विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने 1000 से ज्यादा पेज के अपने विस्तृत फैसले में साफ कहा कि महाराष्ट्र एटीएस की जांच रिपोर्ट में बार-बार यह दावा किया गया कि सभी आरोपी अभिनव भारत के सक्रिय सदस्य थे. यह संगठन एक संगठित गिरोह की तरह काम करता था. लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि इस दावे को पुख्ता सबूतों से पुष्ट नहीं किया गया. अभिनव भारत आज की तारीख में प्रतिबंधित संगठन नहीं है. 

विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में लिखा, "अभिनव भारत ट्रस्ट या संस्था या संगठन या फाउंडेशन को भी कभी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत बैन नहीं किया गया है." अभियोजन एजेंसियों ने रिमांड से लेकर अंतिम सुनवाई तक बार-बार अभिनव भारत शब्द का इस्तेमाल तो किया, लेकिन वह सिर्फ एक सामान्य संदर्भ या आम बोलचाल के रूप में था, किसी कानूनी या औपचारिक दस्तावेजी आधार पर नहीं.

साल 2007 में हुई थी अभिनव भारत ट्रस्ट की स्थापना

न्यायाधीश लाहोटी ने साफ कहा कि यदि केंद्र सरकार को लगता कि अभिनव भारत गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है, तो उसे अधिसूचना जारी कर इस संगठन को प्रतिबंधित घोषित करना चाहिए था. लेकिन आज तक ऐसी कोई अधिसूचना रिकॉर्ड पर नहीं आई है. अभिनव भारत ट्रस्ट की स्थापना साल 2007 में हुई थी. यह पुणे चैरिटी ऑफिस में रजिस्टर्ड है. इसके ट्रस्ट डीड में आपराधिक गतिविधि से संबंधित उद्देश्य दर्ज नहीं है.

देशभक्ति और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना उद्देश्य

अदालत ने जब ट्रस्ट डीड का अवलोकन किया तो पाया कि इसमें केवल देशभक्ति और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने जैसे उद्देश्य लिखे गए हैं. अभियोजन पक्ष इस बात को साबित नहीं कर सका कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी जैसे आरोपी कभी इस ट्रस्ट के सदस्य रहे हों. अभियोजन पक्ष का दावा था कि आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने 2007 में अभिनव भारत की स्थापना की थी.

जांच एजेसियों ने अभिनव भारत पर लगाए थे ये आरोप

उनका कहना था कि इस संगठन का उद्देश्य भारतीय संविधान को बदलकर एक नए हिंदू राष्ट्र की नींव रखना था. इस संगठन का लक्ष्य भारत को आर्यावर्त नामक अलग राष्ट्र में बदलना था. इसके लिए जनवरी से सितंबर 2008 के बीच मालेगांव में विस्फोट की साजिश रची गई. लेकिन अदालत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि अभिनव भारत का उद्देश्य ऐसा करना था.

अभिनव भारत को आतंकी संगठन मानने से कोर्ट का इंकार

अभियोजन पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि अभिनव भारत ने 21 लाख रुपए इकट्ठा किया था. इसका इस्तेमाल आरोपी हथियार और गोला-बारूद खरीदने में करने वाले थे. लेकिन अदालत ने कहा कि इस आरोप को भी साबित करने के लिए अभियोजन कोई ठोस दस्तावेज या गवाह पेश नहीं कर पाया. इस पूरे मामले में अदालत ने सात आरोपियों को बरी करते हुए अभिनव भारत को आतंकी संगठन मानने से इंकार कर दिया.

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