अहमदाबाद के सोला और चाणक्यपुरी इलाकों में महिला सुरक्षा को लेकर लगाए गए पोस्टरों के विवादास्पद स्लोगन ने शहर में हलचल मचा दी है. "ऐ रंगली, रात की पार्टी में जाने का नहीं… रेप - गैंगरेप हो सकता है" और "ऐ रंगला, अंधेरे में सुनसान जगह पर रंगली को लेकर जाने का नहीं… रेप - गैंगरेप हो जाए तो…?" जैसे स्लोगन वाले ये पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसके बाद तत्काल विवाद शुरू हो गया.
NGO के पोस्टर पर विवाद
पोस्टरों को लेकर बढ़ते विरोध को देखते हुए पुलिस ने फौरन इन्हें हटाने का आदेश दे दिया. इन पोस्टरों को सतर्कता ग्रुप नाम के एक एनजीओ ने लगाया था, जो ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर अवेयरनेस का काम करता है. लेकिन इस बार एनजीओ ने अपने दायरे से बाहर जाकर महिला सुरक्षा पर संदेश देने की कोशिश की, जो विवाद का कारण बन गई.
डीसीपी का आया बयान
डीसीपी सफीन हसन ने बताया कि यह मामला कल सोशल मीडिया के जरिए पुलिस के संज्ञान में आया. जांच में पता चला कि बिना उचित अनुमति के एनजीओ ने ये पोस्टर लगवाए थे. इस पर सोला पुलिस थाने में प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कर दी गई है और मामले की जांच जारी है.
डीसीपी ने लोगों को आश्वस्त किया कि अहमदाबाद महिलाओं के लिए सुरक्षित है और शहर की पुलिस पूरी तत्परता से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करती है. उन्होंने कहा कि आने वाले नवरात्रि महोत्सव के दौरान पुलिस रातभर गश्त करेगी ताकि महिलाएं गरबा और अन्य कार्यक्रमों में निडर होकर हिस्सा ले सकें.
विपक्ष का सरकार पर निशाना
हालांकि, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. गुजरात कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि जब महिला सुरक्षा को लेकर ऐसे पोस्टरों पर पुलिस का नाम स्पॉन्सर के रूप में आता है तो यह सरकार की विफलता को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि राज्य में हर दिन छह महिलाओं और बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही.
दोशी ने कहा कि सरकार को विपक्ष की जासूसी से ज़्यादा महिलाओं की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए और पुलिस में ऐसा डर बनाए रखना चाहिए जिससे अपराधियों में खौफ बना रहे.
विवादित पोस्टरों की यह घटना नवरात्रि से पहले महिला सुरक्षा को लेकर अहम सवाल खड़े करती है. हालांकि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की, लेकिन इससे जुड़े व्यापक सवालों का जवाब अभी बाकी है.
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