राधाकृष्ण को नंबर गेम तो सुदर्शन को 'अंतरात्मा की आवाज' पर भरोसा, समझें उपराष्ट्रपति चुनाव का फाइनल गुणा-गणित

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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मंगलवार को वोटिंग है. सत्ता पक्ष एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी 'इंडिया' ब्लॉक के सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है. एनडीए को 'नंबर गेम' के सहारे राधाकृष्णन की जीत तय नज़र आ रही है, लेकिन विपक्षी उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को सांसदों की 'अंतरात्मा की आवाज़' पर भरोसा है. इस तरह से उपराष्ट्रपति का चुनाव काफी रोचक बन गया है.

संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो सांसदों की संख्या के मामले में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का पलड़ा 'इंडिया' ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी से भारी है. राधाकृष्णन को 439 तो सुदर्शन को 324 सांसदों का समर्थन मिलने की उम्मीद है.

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए और 'इंडिया' ब्लॉक ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सामने 'इंडिया' ब्लॉक को एक अच्छी टक्कर देने की चुनौती है. ऐसे में वह 'अंतरात्मा की आवाज़' का सहारा लेकर अपनी संख्या बढ़ाने का दांव चला है. सुदर्शन रेड्डी ने एक वीडियो अपील जारी करके विपक्षी सांसदों को साधने का दांव चला है.

उपराष्ट्रपति चुनाव का 'नंबर गेम' समझें

उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान करते हैं. इस लिहाज से दोनों सदनों के कुल सांसदों की संख्या 781 है. इस लिहाज से जीत के लिए 392 सांसदों का समर्थन चाहिए.

लोकसभा - 542 (अध्यक्ष को छोड़कर) एनडीए: 293 विपक्ष: 234 अन्य: 15

राज्यसभा - कुल संख्या 245-6 = 239 एनडीए: 132 विपक्ष: 77 अन्य: 30

'संख्यात्मक' लड़ाई बनाम 'नैतिक' लड़ाई!

एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु से आने वाले सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है. ऐसे में शुरू से ही यह बात स्पष्ट थी कि विपक्ष दक्षिण से एक उम्मीदवार उतारेगा. विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ब्लॉक ने तेलंगाना से आने वाले बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारकर चुनावी लड़ाई को संख्यात्मक से ज़्यादा प्रतीकात्मक बना दिया है.

'इंडिया' ब्लॉक अपने घटक दलों को एकजुट रखने के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त संख्या जुटाने की उम्मीद लगाए है, क्योंकि तेलुगु अस्मिता के ज़रिए वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियों को लुभाने की कवायद है. सुदर्शन रेड्डी ने जगन मोहन रेड्डी से मुलाकात की, लेकिन जगन ने उनका समर्थन करने में असमर्थता जताई, क्योंकि जगन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एनडीए उम्मीदवार का समर्थन देने का वादा कर चुके थे.

हालांकि, विपक्ष इस बात को समझने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उन्होंने संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की भावना की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी की प्रशंसा की. साथ ही जगन ने अनुरोध किया कि सुदर्शन की उम्मीदवारी का समर्थन करने में उनकी असमर्थता को गलत न समझा जाए.

विपक्ष को 'अंतरात्मा की आवाज़' का सहारा

विपक्ष उम्मीद कर रहा है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव जितना साफ दिख रहा है, उतना है नहीं. कई सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोटिंग कर सकते हैं. बी. सुदर्शन रेड्डी कह भी चुके हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में व्हिप नहीं होता है. ऐसे में कई विपक्षी सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोटिंग करेंगे.

कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने शराब घोटाले मामले के आरोपी सांसद मिथुन रेड्डी की रिहाई पर टीडीपी और वाईएसआरसी के बीच प्रतिद्वंद्विता का हवाला देते हुए कहा, 'अब अंतरिम ज़मानत पर वह कुछ समय के लिए आज़ाद हैं. इसलिए नहीं कि न्याय हुआ, बल्कि इसलिए कि उन्हें उपराष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट देना है. असली सस्पेंस यह है कि क्या टीडीपी के लोग बीजेपी के उस उम्मीदवार को वोट देंगे जिसने उन्हें जेल भेजा? या न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी को वोट देंगे जो संविधान की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं?'

सत्ता पक्ष को 'नंबर गेम' से दिख रही उम्मीद

सीपी राधाकृष्णन को एनडीए के 'नंबर गेम' पर अपनी जीत साफ दिख रही है. एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 132 का समर्थन है. इस तरह 425 सांसदों का समर्थन साफ दिख रहा है. इससे एनडीए की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन 2022 में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को मिले 528 वोटों की तुलना में यह कम है.

हालांकि, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व सीपी राधाकृष्णन की जीत के मार्जिन को बढ़ाने के लिए तमाम विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कवायद कर रहा है. राजनाथ सिंह ने जगन मोहन रेड्डी की पार्टी से लेकर तमाम विपक्षी दलों से बातचीत की है. इसके अलावा, बीजेपी ने अपने सभी सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें उन्हें मतदान प्रक्रिया और गुप्त मतदान की तकनीकी बारीकियों के बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए. एनडीए नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी लापरवाही से विपक्ष को फायदा हो सकता है, इसलिए सांसदों को सतर्क रहना चाहिए.

बीजेडी से बीआरएस तक किसके साथ जाएंगे?

बीजेडी और बीआरएस समेत 18 सांसदों ने अभी तक यह ऐलान नहीं किया है कि वे किस उम्मीदवार को वोट देंगे? हालांकि, बीजेडी के सात सांसद, बीआरएस के चार, अकाली दल, जेडपीएम और वीओटीटीपी के एक-एक सांसद और तीन निर्दलीय सांसदों ने अभी तक अपनी पसंद का स्पष्ट संकेत नहीं दिया है. इस तरह से इन दलों पर सियासी सस्पेंस बना हुआ है, जिन्हें साधने की कवायद दोनों तरफ से हो रही है.

बीआरएस के राज्यसभा में 4 सांसद हैं, लेकिन कांग्रेस ने केसीआर से संपर्क करने के लिए कुछ खास नहीं किया है. इससे पहले इंडिया टुडे ने सुदर्शन रेड्डी से बात की थी, तो उन्होंने तेलुगु गौरव का हवाला दिया था और बीआरएस प्रमुख केसीआर का समर्थन हासिल करने के लिए उनकी प्रशंसा की थी. वे शायद मतदान से दूर रह सकते हैं या एनडीए के पक्ष में जा सकते हैं.

राज्यसभा में 7 सांसदों वाली बीजू जनता दल (बीजेडी) ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अंतिम फैसला बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक लेंगे, जो संयोग से राष्ट्रीय राजधानी में हैं. बीजेडी के एक सांसद ने कहा, 'हमें अभी तक यह नहीं बताया गया है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को वोट देना है. हमारे नेता दिल्ली में हैं और वह जो भी फैसला लेंगे, हम उसका पालन करेंगे.'

बता दें कि पिछली बार वक्फ संशोधन विधेयक पर मतदान के दौरान बीजेडी ने कोई आदेश नहीं दिया था और सांसदों पर अपनी 'अंतरात्मा की आवाज़' पर वोट देने का अधिकार छोड़ दिया था. उपराष्ट्रपति चुनाव में भी क्या बीजेडी यही दांव आजमाएगी या फिर कोई आदेश जारी होगा? दोनों पक्ष क्रॉस वोटिंग की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि यह एक गुप्त मतदान है, जो उनके कथन को मजबूत करेगा.

ओवैसी से चंद्रशेखर तक सुदर्शन के साथ

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संविधान की रक्षा के आह्वान पर सुदर्शन रेड्डी का समर्थन किया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने उनसे संपर्क किया है. आज़ाद पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी संविधान के मुद्दे पर एकजुटता व्यक्त की है. दोनों ही लोकसभा में अपनी पार्टी की अकेली आवाज़ हैं. इस तरह से सुदर्शन रेड्डी जैसे गैर-राजनीतिक चेहरे को आगे करके बड़ा सियासी दांव चला है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, सपा, राजद, वामपंथी दलों और अन्य सहित विपक्ष ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में सक्रिय रूप से प्रचार किया है. इस साल के चुनाव का एक अनोखा पहलू यह है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं.

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